エピソード

  • दोहा छंद: शिल्प विधान और प्रकार
    2025/08/03

    इस ज्ञानवर्धक एपिसोड में हम चर्चा कर रहे हैं रमेश चौहान द्वारा रचित दोहा प्रभाकर, दोहा विषयक ग्रंथ पर, जो दोहा छंद की शिल्पात्मक विशेषताओं और उसके भिन्न-भिन्न प्रकारों पर आधारित है।

    यह एपिसोड स्पष्ट करता है कि दोहा छंद की रचना कैसे होती है—दो पद, प्रत्येक में दो चरण, और प्रत्येक चरण में निश्चित मात्रा संरचना। विशेष रूप से, पहले चरण में 13 मात्राएँ और दूसरे में 11 मात्राएँ होती हैं। इसमें विषम और सम चरणों में मात्रा विन्यास के साथ-साथ अंतिम वर्णों के नियमों की भी चर्चा की गई है।

    हम देखेंगे कि कैसे जगण, रगण, और नगण जैसे गणों का उपयोग दोहे की छवि को गहराई देता है। इसके साथ ही तुकबंदी (राइम स्कीम) का महत्व भी उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।

    एपिसोड के अंत में हम जानेंगे कि कैसे मात्राओं की भिन्नता के आधार पर तेईस प्रकार के दोहे निर्मित होते हैं—जैसे:

    • भ्रमर दोहा

    • शरभ दोहा

    • सर्प दोहा

    प्रत्येक प्रकार की अपनी विशिष्ट मात्रा संरचना होती है, जो उसे अन्य प्रकारों से अलग करती है।

    🔊 इस साहित्यिक यात्रा में हमारे साथ चलें और जानें दोहे के छंद-विधान का सौंदर्य और वैचारिक गहराई।

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    8 分
  • दोहा प्रभाकर: मात्रा, वर्ण और छंद विधान
    2025/08/02

    होस्ट-रमेश चौहान

    यह एपिशोड़ मात्रा, वर्ण, और छंद विधान पर केंद्रित है, जो हिंदी कविता की संरचना को समझने के लिए मौलिक अवधारणाएँ हैं। इसमें मात्रा को अक्षरों के उच्चारण में लगने वाले समय के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें लघु (एक मात्रा) और गुरु (दो मात्राएँ) में वर्गीकृत किया गया है। पुस्तक वर्णों को स्वर और व्यंजन में विभाजित करती है, प्रत्येक के लघु या दीर्घ वर्गीकरण के साथ उच्चारण समय के आधार पर। यह मात्राओं की गणना के विस्तृत नियम प्रदान करता है, जिसमें अर्ध-वर्णों और संयुक्त वर्णों पर उनके प्रभावों को स्पष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह 'कल' की अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जो कुल मात्रा भार को दर्शाता है, और 'गेयता' के लिए कलों के संयोजन के महत्व पर प्रकाश डालता है। अंत में, यह तुकांतता के नियमों और उसके विभिन्न स्तरों को समझाया गया है, जो हिंदी छंदों में सामंजस्य और प्रवाह सुनिश्चित करता है।

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    9 分
  • भाग-3: छंद, छंद के अंग एवं छंद के प्रकार
    2025/08/01

    होस्ट: रमेश चौहान — शिक्षक, आध्यात्मिक विचारक और लेखक

    इस एपिसोड में हम आपको लेकर चलते हैं एक अद्भुत यात्रा पर जहां काव्य के सबसे प्राचिन विधा छंद को समझ सकते हैं । हम चर्चा करेंगे छंद पर, छंद किसे कहते हैं, इसकी क्या परिभाषा हो सकती है? छंद के कौन-कौन से अंग होते है? और अंत में हम बात करेंगे छंद के प्रकारों । यह चर्चा निश्चित रूप काव्य प्रेमियों और साहित्य प्रेमियों के लिये रोचक होने वाला है, विशेष कर नवोदित कवियों के लिये ।

    🎧 सुनिए, समझिए और छंद-साहित्य के इस जीवंत स्वरूप को आत्मसात कीजिए।छंद और दोहा छंद के बारे संपूर्ण जानकारी के लिये इस चर्चा के आधार ग्रंथ दोहा प्रभाकर पढ़ सकते हैं- https://amzn.in/d/ejhr5Wo

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    7 分
  • दोहा प्रभाकर भाग दो- दोहा की वैदिक जड़ें: छंद शास्त्र का परिचय
    2025/07/31

    होस्ट: रमेश चौहान — शिक्षक, आध्यात्मिक चिंतक और लेखकइस एपिसोड में हम आपको लेकर चलते हैं एक अद्भुत यात्रा पर – जहां कविता केवल भावना नहीं बल्कि अनुशासन भी है। ‘दोहा प्रभाकर’ के इस दूसरे एपिसोड में जानिए कि छंद क्या है, इसका वैदिक महत्व क्यों है, और क्यों कहा जाता है कि छंद विहीन काव्य विकलांग होता है।

    वेदों के छह अंगों में से एक 'छंद' को पाद (पैर) की संज्ञा दी गई है। इसी आधार पर यह कहा गया कि जैसे बिना पैरों के मनुष्य अपूर्ण है, वैसे ही छंद के बिना काव्य अपूर्ण होता है।

    हम जानेंगे कि किस प्रकार वेद, स्मृति, पुराण और हिन्दी के महान ग्रंथों—जैसे रामचरितमानस, सूरसागर, बीजक—में छंदों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। यह एपिसोड आपको समझाएगा कि दोहा मात्र कविता का रूप नहीं, बल्कि वेदों की परंपरा का एक जीवित अंश है।

    साथ ही हम चर्चा करेंगे छंदशास्त्र की महत्त्वपूर्ण कड़ियों—जैसे कि मात्रा, वर्ण, तुकांतता और गेयता—पर जो किसी भी कवि या साहित्य प्रेमी के लिए आवश्यक हैं।

    यदि आप दोहों को गहराई से समझना चाहते हैं और हिन्दी साहित्य की छंद परंपरा में रुचि रखते हैं, तो यह एपिसोड आपके लिए है।

    🎧 सुनिए, समझिए और छंद-साहित्य के इस जीवंत स्वरूप को आत्मसात कीजिए।

    इस संबंध में संपर्ण जानकारी के लिये दोहा प्रभाकर को यहा से प्राप्त कर सकते हैं-https://amzn.in/d/6tHZaJX

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    5 分
  • दोहा छंद
    2025/07/28

    दोहा छंद हिन्दी काव्य साहित्य का एक महत्वपूर्ण विधा है।

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    7 分