
दोहा छंद: शिल्प विधान और प्रकार
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इस ज्ञानवर्धक एपिसोड में हम चर्चा कर रहे हैं रमेश चौहान द्वारा रचित दोहा प्रभाकर, दोहा विषयक ग्रंथ पर, जो दोहा छंद की शिल्पात्मक विशेषताओं और उसके भिन्न-भिन्न प्रकारों पर आधारित है।
यह एपिसोड स्पष्ट करता है कि दोहा छंद की रचना कैसे होती है—दो पद, प्रत्येक में दो चरण, और प्रत्येक चरण में निश्चित मात्रा संरचना। विशेष रूप से, पहले चरण में 13 मात्राएँ और दूसरे में 11 मात्राएँ होती हैं। इसमें विषम और सम चरणों में मात्रा विन्यास के साथ-साथ अंतिम वर्णों के नियमों की भी चर्चा की गई है।
हम देखेंगे कि कैसे जगण, रगण, और नगण जैसे गणों का उपयोग दोहे की छवि को गहराई देता है। इसके साथ ही तुकबंदी (राइम स्कीम) का महत्व भी उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
एपिसोड के अंत में हम जानेंगे कि कैसे मात्राओं की भिन्नता के आधार पर तेईस प्रकार के दोहे निर्मित होते हैं—जैसे:
भ्रमर दोहा
शरभ दोहा
सर्प दोहा
प्रत्येक प्रकार की अपनी विशिष्ट मात्रा संरचना होती है, जो उसे अन्य प्रकारों से अलग करती है।
🔊 इस साहित्यिक यात्रा में हमारे साथ चलें और जानें दोहे के छंद-विधान का सौंदर्य और वैचारिक गहराई।
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