
दोहा प्रभाकर: मात्रा, वर्ण और छंद विधान
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このコンテンツについて
होस्ट-रमेश चौहान
यह एपिशोड़ मात्रा, वर्ण, और छंद विधान पर केंद्रित है, जो हिंदी कविता की संरचना को समझने के लिए मौलिक अवधारणाएँ हैं। इसमें मात्रा को अक्षरों के उच्चारण में लगने वाले समय के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें लघु (एक मात्रा) और गुरु (दो मात्राएँ) में वर्गीकृत किया गया है। पुस्तक वर्णों को स्वर और व्यंजन में विभाजित करती है, प्रत्येक के लघु या दीर्घ वर्गीकरण के साथ उच्चारण समय के आधार पर। यह मात्राओं की गणना के विस्तृत नियम प्रदान करता है, जिसमें अर्ध-वर्णों और संयुक्त वर्णों पर उनके प्रभावों को स्पष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह 'कल' की अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जो कुल मात्रा भार को दर्शाता है, और 'गेयता' के लिए कलों के संयोजन के महत्व पर प्रकाश डालता है। अंत में, यह तुकांतता के नियमों और उसके विभिन्न स्तरों को समझाया गया है, जो हिंदी छंदों में सामंजस्य और प्रवाह सुनिश्चित करता है।