पानी” — एक ऐसी कहानी है, जहाँ खेतों की नमी के साथ इंसान की अस्मिता, प्रेम, और संघर्ष की भी कहानी बहती है।
डॉ. परदेशी राम वर्मा इस कथा में दिखाते हैं कि छत्तीसगढ़ का गाँव ‘खरखरा’ केवल भूमि का टुकड़ा नहीं,
बल्कि सामाजिक बदलाव का प्रतीक है।
पिता सोहन सतनामी की अधूरी यात्रा और बेटे बिजलाल की संघर्षशील कहानी
इस बात को उजागर करती है कि
‘बराबरी का हक़ सिर्फ़ कहा नहीं जाता, जिया भी जाता है।’
सुनिए — एक ऐसी कहानी जो मिट्टी की खुशबू, सामाजिक चेतना और परिवर्तन की लहर लेकर आती है।
📢 “सुरता साहित्य की धरोहर” पर हम छत्तीसगढ़ी लोकजीवन, रचनाकारों और उनकी विरासत को स्वर देते हैं।
🎧 अब सुनिए — “कहानी: पानी” — डॉ. परदेशी राम वर्मा की लेखनी से।
कहानी का परिचय (कथ्य-सार):
“पानी” एक गाँव — खरखरा की कहानी है,
जहाँ हर दस साल में झगड़ा, बलवा और जातिगत टकराव होता रहता है।
कहानी दो पीढ़ियों के इर्द-गिर्द घूमती है —
पहले सोहन सतनामी की, जिसने प्रेम और सामाजिक बंधनों के बीच अपनी जान गंवाई,
और फिर उसके बेटे बिजलाल की, जो पिता की मृत्यु के बाद भी
गाँव में बराबरी और अपने हिस्से के ‘पानी’ के लिए संघर्ष करता है।
यह कथा केवल एक संघर्ष की नहीं,
बल्कि छत्तीसगढ़ के समाज में समानता, प्रेम और न्याय की मिट्टी से निकली चेतना की कहानी है।
कहानी हमें बताती है कि —
“पानी केवल खेतों में नहीं बहता, वह इंसान की अस्मिता और अधिकार की धारा भी है।”
🎧 अब सुनिए — “कहानी: पानी” — डॉ. परदेशी राम वर्मा की लेखनी से।
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