
डॉ. अर्चना दुबे की संवेदनशील कहानी “किन्नर का आशीर्वाद
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आज के “सुरता साहित्य की धरोहर” पॉडकास्ट में प्रस्तुत है —
डॉ. अर्चना दुबे की संवेदनशील कहानी “किन्नर का आशीर्वाद”।
यह कहानी समाज की उस परत को उजागर करती है जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं —
किन्नर समुदाय की करुणा, प्रेम और उनके अस्तित्व का आदर।
पंडित रामप्रसाद के घर जब नवजात शिशु की किलकारियाँ गूँजती हैं,
तब “शांताबाई” अपने आशीर्वाद के साथ आती हैं —
लेकिन इस आशीर्वाद के पीछे छिपी भावनाएँ समाज के लिए एक गहरा प्रश्न छोड़ जाती हैं —
क्या हमने कभी उनके “आशीर्वाद” का सच्चा अर्थ समझा है?
✨ सुनिए — एक ऐसी कहानी जो करुणा, मातृत्व और स्वीकृति की नई परिभाषा गढ़ती है।
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