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Surta: Sahitya Ki Dharohar

Surta: Sahitya Ki Dharohar

著者: रमेश चौहान
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このコンテンツについて

"सुरता: साहित्य की धरोहर" – 2018 से निरंतर प्रकाशित साहित्यिक मंच, जहाँ हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा की कविताएँ, कहानियाँ, ग़ज़लें, व्यंग्य, और लोक रचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। अब इन्हीं रचनाओं को आप सुन पाएँगे हमारी आवाज़ में — एक साहित्यिक यात्रा, शब्दों से स्वर तक। 🔹 हर सप्ताह नई रचनाएँ 🔹 गद्य और पद्य दोनों विधाओं की प्रस्तुतियाँ 🔹 विशेष श्रृंखलाएँ – कविता सप्ताह, लोककथा विशेष, संत साहित्य आदिरमेश चौहान アート エンターテインメント・舞台芸術
エピソード
  • ‘तुम भूल न जाना हिन्दी’ विनोद नायक
    2025/10/16

    “सुरता साहित्य की धरोहर” के आज के विशेष अंक में प्रस्तुत है —

    “स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा का योगदान — ‘तुम भूल न जाना हिन्दी’”,

    लेखक विनोद नायक द्वारा रचित एक प्रेरक आलेख,

    जो हिन्दी भाषा की भूमिका को स्वतंत्रता संग्राम के परिप्रेक्ष्य में नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।


    यह आलेख बताता है कि जैसे सूर्य का प्रकाश सृष्टि को जीवन देता है,

    वैसे ही भाषा — विशेषकर हिन्दी — राष्ट्र की आत्मा और उसकी पहचान है।

    हिन्दी ने केवल संवाद का माध्यम नहीं दिया, बल्कि

    क्रांतिकारियों के घोषणापत्र, कवियों के गीतों और लेखकों के लेखों के माध्यम से

    आज़ादी की लौ को प्रज्वलित किया।


    इस आलेख में हम उन शब्दों की शक्ति को महसूस करेंगे

    जिन्होंने एकता, देशभक्ति और स्वाभिमान की भावना को जागृत किया —

    और समझेंगे कि क्यों हमें आज भी याद रखना चाहिए —

    “तुम भूल न जाना हिन्दी।”


    📖

    लेखक: विनोद नायक

    प्रस्तुति: सुरता साहित्य की धरोहर पॉडकास्ट

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  • डॉ. अर्चना दुबे की संवेदनशील कहानी “किन्नर का आशीर्वाद
    2025/10/15

    आज के “सुरता साहित्य की धरोहर” पॉडकास्ट में प्रस्तुत है —

    डॉ. अर्चना दुबे की संवेदनशील कहानी “किन्नर का आशीर्वाद”


    यह कहानी समाज की उस परत को उजागर करती है जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं —

    किन्नर समुदाय की करुणा, प्रेम और उनके अस्तित्व का आदर।


    पंडित रामप्रसाद के घर जब नवजात शिशु की किलकारियाँ गूँजती हैं,

    तब “शांताबाई” अपने आशीर्वाद के साथ आती हैं —

    लेकिन इस आशीर्वाद के पीछे छिपी भावनाएँ समाज के लिए एक गहरा प्रश्न छोड़ जाती हैं —

    क्या हमने कभी उनके “आशीर्वाद” का सच्चा अर्थ समझा है?


    सुनिए — एक ऐसी कहानी जो करुणा, मातृत्व और स्वीकृति की नई परिभाषा गढ़ती है।


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  • डॉ. अशोक आकाश का भावनाओं से भरा काव्यपाठ “किन्नर व्यथा”
    2025/10/14

    सुरता साहित्य की धरोहर” के इस विशेष एपिसोड में प्रस्तुत है — डॉ. अशोक आकाश का भावनाओं से भरा काव्यपाठ “किन्नर व्यथा”

    यह खंडकाव्य, 20 भागों में विस्तृत, समाज से बहिष्कृत एक वर्ग — किन्नर समुदाय — के जीवन, संघर्ष, और आत्मसम्मान की मार्मिक गाथा है।


    इस कविता के माध्यम से कवि ने दिखाया है कि


    जब "ममता का सागर मां भी जब मूरत बन रह जाती",

    तो संवेदना किस मोड़ पर समाज से पीछे छूट जाती है।


    “किन्नर व्यथा” केवल पीड़ा का बयान नहीं, बल्कि स्वीकृति, पहचान और प्रेम की पुकार है — एक ऐसी कविता जो मनुष्य होने की सच्ची परिभाषा से हमें रूबरू कराती है।


    सुनिए — संवेदना, सम्मान और स्वाभिमान की इस सशक्त काव्यधारा को, डॉ. अशोक आकाश के स्वर में।


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