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‘तुम भूल न जाना हिन्दी’ विनोद नायक

‘तुम भूल न जाना हिन्दी’ विनोद नायक

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このコンテンツについて

“सुरता साहित्य की धरोहर” के आज के विशेष अंक में प्रस्तुत है —

“स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा का योगदान — ‘तुम भूल न जाना हिन्दी’”,

लेखक विनोद नायक द्वारा रचित एक प्रेरक आलेख,

जो हिन्दी भाषा की भूमिका को स्वतंत्रता संग्राम के परिप्रेक्ष्य में नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।


यह आलेख बताता है कि जैसे सूर्य का प्रकाश सृष्टि को जीवन देता है,

वैसे ही भाषा — विशेषकर हिन्दी — राष्ट्र की आत्मा और उसकी पहचान है।

हिन्दी ने केवल संवाद का माध्यम नहीं दिया, बल्कि

क्रांतिकारियों के घोषणापत्र, कवियों के गीतों और लेखकों के लेखों के माध्यम से

आज़ादी की लौ को प्रज्वलित किया।


इस आलेख में हम उन शब्दों की शक्ति को महसूस करेंगे

जिन्होंने एकता, देशभक्ति और स्वाभिमान की भावना को जागृत किया —

और समझेंगे कि क्यों हमें आज भी याद रखना चाहिए —

“तुम भूल न जाना हिन्दी।”


📖

लेखक: विनोद नायक

प्रस्तुति: सुरता साहित्य की धरोहर पॉडकास्ट

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