エピソード

  • काव्य पाठ में: प्रो. रविन्द्र प्रताप सिंह की एक चर्चित हास्य नज़्म
    2025/12/25

    सुरता साहित्य की धरोहर के अंतर्गत आज की यह प्रस्तुति श्रोताओं को साहित्य के उस पक्ष से रू-बरू कराती है, जहाँ हास्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन की सच्चाइयों का सधा हुआ व्यंग्य बन जाता है। आज के काव्य पाठ में प्रस्तुत है प्रो. रविन्द्र प्रताप सिंह की एक चर्चित हास्य नज़्म, जो नाई की दुकान जैसे साधारण दृश्य को केंद्र में रखकर मानवीय अहंकार, समय की अनिवार्यता और इच्छाओं के क्षरण को अत्यंत रोचक ढंग से अभिव्यक्त करती है।

    उस्तरा, कैंची, जुल्फ़ें और आईना—ये सभी प्रतीक बनकर जीवन की उस सच्चाई की ओर संकेत करते हैं, जहाँ हर अकड़ और हर मोह अंततः समय के सामने झुक जाता है। नज़्म में हास्य के साथ-साथ एक सूक्ष्म दर्शन भी निहित है, जो श्रोताओं को मुस्कराते हुए आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है।

    इस काव्य पाठ को और भी विशेष बनाती है इसकी प्रस्तुति, क्योंकि इस हास्य नज़्म का वाचन स्वयं प्रो. रविन्द्र प्रताप सिंह की आवाज़ में किया गया है। उनकी सहज, लयात्मक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति शब्दों को जीवंत कर देती है और श्रोताओं को एक आत्मीय साहित्यिक अनुभव प्रदान करती है।

    यह एपिसोड उन सभी श्रोताओं के लिए है जो साहित्य में केवल गंभीरता ही नहीं, बल्कि मुस्कान, व्यंग्य और जीवन की हल्की-सी चुभन को भी महसूस करना चाहते हैं।

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    6 分
  • घनाक्षरी छंद रचना कला
    2025/12/26

    सुरता साहित्य की धरोहर | साहित्य सृजन कला (शनिवार)

    इस ज्ञानवर्धक एपिसोड में हम हिंदी साहित्य के स्वर्णयुग के अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली घनाक्षरी छंद का विस्तृत परिचय प्रस्तुत करते हैं। यह सत्र उन रचनाकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो कविता को केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक अनुशासित काव्य-शिल्प के रूप में समझना चाहते हैं।

    लेखक रमेश चौहान द्वारा प्रस्तुत इस मार्गदर्शिका में घनाक्षरी छंद की वर्णिक संरचना को सरल और व्यावहारिक भाषा में समझाया गया है। एपिसोड में घनाक्षरी के प्रमुख प्रकार — मनहरण, रूप और देवघनाक्षरी — का विस्तार से विवेचन किया गया है, साथ ही छंद लेखन के लिए आवश्यक वर्ण-गणना, लघु–गुरु मात्राओं का निर्धारण, यति और गति जैसे तकनीकी नियमों को स्पष्ट किया गया है।

    इस चर्चा को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए तुलसीदास एवं अन्य प्रसिद्ध कवियों के उदाहरणों के साथ-साथ स्वयं अभ्यास करने की विधि भी साझा की गई है, जिससे नवोदित कवि छंद लेखन में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।

    यह एपिसोड पारंपरिक काव्य कला को आधुनिक समय में संरक्षित रखने और नई पीढ़ी के रचनाकारों को छंदबद्ध कविता की ओर प्रेरित करने का एक सार्थक प्रयास है।

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    16 分
  • भारत रत्न अटल: कवि, राजनेता और राष्ट्रनिर्माता के जन्म दिवस पर विशेष काव्यपाठ
    2025/12/24

    सुरता साहित्य की धरोहर के इस विशेष प्रसंग में हम स्मरण कर रहे हैं
    भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री
    आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रेरणादायी जीवन और अविस्मरणीय योगदान को।

    यह प्रस्तुति
    डॉ. अशोक आकाश द्वारा
    अटल जी के शून्य से शिखर तक के संघर्षपूर्ण जीवन–सफ़र,
    उनकी कवि-हृदय संवेदना,
    लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता
    और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता के रूप में उनके ऐतिहासिक योगदान को
    सफ़रनामा एवं काव्य पाठ के माध्यम से रेखांकित करती है। अटल जी केवल एक राजनेता नहीं थे, वे विचार, संवाद और राष्ट्रबोध के प्रतीक थे। उनकी कविता, उनकी वाणी और उनका आचरण आज भी भारत की आत्मा को दिशा देता है। यह एपिसोड नई पीढ़ी को नेतृत्व, संवेदना और राष्ट्रप्रेम के उच्च आदर्शों से जोड़ने का एक विनम्र प्रयास है।

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    19 分
  • “मौन में बसता साहित्य : विनोद कुमार शुक्ल को श्रद्धांजलि”
    2025/12/24

    सुरता साहित्य की धरोहर के इस विशेष साहित्य क्षितिज अंक में हम नमन करते हैं हिंदी साहित्य के अद्वितीय और विनम्र रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल को।

    23 दिसंबर 2025 को उनके निधन के पश्चात यह श्रद्धांजलि प्रस्तुति उनके जीवन, लेखन और साहित्यिक विरासत को स्मरण करती है। विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी सादगीपूर्ण भाषा, आम जीवन की अनुभूतियों और गहन मानवीय संवेदनाओं के माध्यम से साहित्य को
    एक नई दृष्टि और नई आत्मा दी।

    ‘नौकर की कमीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी कृतियों के जरिए उन्होंने यह सिद्ध किया कि साधारण दिखने वाला जीवन भी
    असाधारण दर्शन से भरा होता है।
    ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी जैसे सम्मानों से अलंकृत होकर भी वे आजीवन बनावटीपन से दूर रहे। यह एपिशोड एक लेखक को विदाई नहीं, बल्कि उस मौन, करुणा और संवेदना को सलाम है जो उनके शब्दों में सदैव जीवित रहेगी।

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    10 分
  • पुस्तक “1857 सोना खान” (लेखक: आशीष सिंह ठाकुर)
    2025/12/23

    सुरता साहित्य की धरोहर के मंगलवार विशेष अंक में आज हम परिचय करा रहे हैं आशीष सिंह ठाकुर द्वारा रचित शोधपरक और चेतना-जागृत करने वाली पुस्तक “1857 सोना खान” का। यह कृति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस उपेक्षित अध्याय को उजागर करती है, जिसमें छत्तीसगढ़ की धरती पर नारायण सिंह, वीर सुरेंद्र साय और हनुमान सिंह जैसे महान योद्धाओं ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया।

    पुस्तक का केंद्र सोना खान विद्रोह है — जो केवल एक स्थानीय संघर्ष नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता, स्वाभिमान और आत्मसम्मान का प्रतीक बनकर उभरता है। यह समीक्षा बताती है कि “1857 सोना खान” सिर्फ इतिहास की पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए बलिदान, संघर्ष और राष्ट्रबोध एक प्रेरणादायक लोकगाथा है। यह पुस्तक छत्तीसगढ़ को केवल खनिज-संसाधनों की भूमि नहीं, बल्कि शहीदों की पवित्र कर्मभूमि के रूप में स्थापित करने का सशक्त साहित्यिक प्रयास है।

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    17 分
  • विनोद नायक की अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी “काली थैली”
    2025/12/22

    सुरता साहित्य की धरोहर के इस विशेष कहानी-वाचन में प्रस्तुत है
    विनोद नायक की अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी “काली थैली”

    यह कथा सड़क के डिवाइडर पर रहने वाले पागल भोलू के माध्यम से समाज की संवेदनहीनता, बेटी के अस्तित्व, और निस्वार्थ प्रेम की शक्ति को उजागर करती है।

    एक काली थैली में छोड़ी गई नवजात बच्ची कैसे एक बेसहारा व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य बन जाती है, और वही बच्ची आगे चलकर उसी जीवन की रक्षक बनती है —
    यही इस कहानी का भावनात्मक केंद्र है।

    यह कहानी बताती है कि
    मानवता किसी पहचान, हैसियत या मानसिक स्थिति की मोहताज नहीं होती।
    कभी-कभी समाज जिन लोगों को पागल कह देता है, वही सबसे अधिक इंसान होते हैं । इस कहानी-वाचन के माध्यम से हम “बेटी बचाओ”, करुणा, त्याग और कर्म के गहरे अर्थों को समझने का प्रयास करते हैं।

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    11 分
  • प्रो. रविन्द्र प्रताप सिंह के बाल काव्य-संग्रह “कई दिनों से चिड़िया रूठी” से काव्य वाचन
    2025/12/20

    सुरता साहित्य की धरोहर के रविवारीय काव्य-पाठ में इस बार प्रस्तुत है प्रो. रविन्द्र प्रताप सिंह के बाल काव्य-संग्रह “कई दिनों से चिड़िया रूठी” से चुनिंदा कविताओं का सजीव वाचन।

    इस एपिसोड में बच्चों की दुनिया को शब्दों में रचती चिड़िया, गौरैया, बगुले, सारस, गिलहरी, नन्हा कीड़ा और खेतों की हरियाली हमारे सामने जीवंत हो उठती है।
    ये कविताएँ बाल मन की कल्पनाशीलता, प्रकृति से जुड़ाव, सहज आनंद और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि को उजागर करती हैं। सरल भाषा, कोमल बिंब और लयात्मक प्रवाह के माध्यम से यह काव्य-पाठ न केवल बच्चों के लिए आनंददायक है, बल्कि बड़ों को भी उनके भीतर छिपे बचपन से जोड़ता है।

    बाल साहित्य के माध्यम से संस्कार, संवेदना और सृजनशीलता को संरक्षित करने का यह एक सुंदर प्रयास है।

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    10 分
  • कविता का आधार स्तंभ — छंद
    2025/12/19

    सुरता साहित्य की धरोहर के शनिवार – साहित्य सृजन कला सत्र में इस बार हम कविता के उस मूल अनुशासन से परिचित होते हैं, जो पद्य को लय, सौंदर्य और संरचना प्रदान करता है — छंद

    यह ज्ञानपरक आलेख हिंदी और छत्तीसगढ़ी कविता के संदर्भ में छंद की भूमिका को विस्तार से समझाता है। इसमें छंद को केवल तुकबंदी नहीं, बल्कि कविता की गति, यति और संगीतात्मकता का आधार बताया गया है। एपिसोड में छंद के नौ प्रमुख अंगों — गति, यति, वर्ण, मात्रा, तुक आदि — की सरल और सूक्ष्म व्याख्या की गई है, जिससे रचनाकार कविता के शिल्प को वैज्ञानिक दृष्टि से समझ सकें।

    इसके साथ ही वर्णिक और मात्रिक छंदों के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए मात्राओं की गणना के नियमों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह सत्र उन नए रचनाकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो कविता लेखन की बुनियादी समझ विकसित करना चाहते हैं, और उन अनुभवी कवियों के लिए भी, जो अपने शिल्प को और परिष्कृत करना चाहते हैं।

    यह प्रस्तुति सुरता पोर्टल के उस उद्देश्य को भी रेखांकित करती है, जिसमें साहित्य के संरक्षण, संवर्धन और रचनात्मक अनुशासन को महत्व दिया गया है।

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    19 分