घनाक्षरी छंद रचना कला
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सुरता साहित्य की धरोहर | साहित्य सृजन कला (शनिवार)
इस ज्ञानवर्धक एपिसोड में हम हिंदी साहित्य के स्वर्णयुग के अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली घनाक्षरी छंद का विस्तृत परिचय प्रस्तुत करते हैं। यह सत्र उन रचनाकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो कविता को केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक अनुशासित काव्य-शिल्प के रूप में समझना चाहते हैं।
लेखक रमेश चौहान द्वारा प्रस्तुत इस मार्गदर्शिका में घनाक्षरी छंद की वर्णिक संरचना को सरल और व्यावहारिक भाषा में समझाया गया है। एपिसोड में घनाक्षरी के प्रमुख प्रकार — मनहरण, रूप और देवघनाक्षरी — का विस्तार से विवेचन किया गया है, साथ ही छंद लेखन के लिए आवश्यक वर्ण-गणना, लघु–गुरु मात्राओं का निर्धारण, यति और गति जैसे तकनीकी नियमों को स्पष्ट किया गया है।
इस चर्चा को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए तुलसीदास एवं अन्य प्रसिद्ध कवियों के उदाहरणों के साथ-साथ स्वयं अभ्यास करने की विधि भी साझा की गई है, जिससे नवोदित कवि छंद लेखन में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।
यह एपिसोड पारंपरिक काव्य कला को आधुनिक समय में संरक्षित रखने और नई पीढ़ी के रचनाकारों को छंदबद्ध कविता की ओर प्रेरित करने का एक सार्थक प्रयास है।