• किताब किस्से और कहानियाँ: मैन 'स सर्च फॉर मीनिंग। kitab, kisse aur kahaniyan: Man's search for meaning
    2023/11/19

    विकटर फ्रैंकल, एक मनोवैज्ञानिक थे और साथ ही यहूदी भी।  द्वितीय विश्व युद्ध में उन्हें नात्सियों ने यातना गृह में रखा और वहां के अनुभव ने विकटर के जीवन को पूरी तरह बदल दिया।  यातना गृह से मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने उन्हें निकाला और उसके बाद उन्होंने युद्ध या ऐसी ही किसी त्रासदी से जूझ रहे व्यक्तियों को जीवन में मायने खोजने की प्रेरणा दी ताकि वे जीवन को एक नए सिरे से जी सकें। मैंन'स सर्च फॉर मीनिंग में उनके व्यक्तिगत अनुभवों और  उनके द्वारा विकसित की गई मनोचिकित्सा की नई विधि दोनों पर ही विस्तृत चर्चा की गई है।  ये पुस्तक हर उस व्यक्ति को पढ़नी चाहिए जिसे अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए काम करना है और युद्ध की विभीषिका से कुछ सीखना है।   

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    28 分
  • किताब किस्से और कहानियाँ: रेवोलुशनरीज़ (क्रांतिकारी)। kitab, kisse aur kahaniyan: Revolutionaries
    2023/11/07

    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को अक्सर हम अहिंसक मानते हैं।  लेकिन ऐसा है नहीं। स्वतंत्रता संग्राम में सन 1857 से लेकर 1946 तक के 89 वर्षों में अनेक ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के लिए हिंसक रास्ते अपनाए उसकी तैयारी की, हथियार जुटाए और उन्हें अंजाम भी दिया। उनकी ज़्यादातर कोशिशें नाकाम हुईं।  मुखबिरों और विश्वासघातियों के कारण वे हज़ारों बार छले गए। धन और आम जनता के असहयोग और उदासीनता के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। चूँकि उन्होंने हथियार उठाए और अक्सर विफल रहे इसलिए उनकी मृत्यु निश्चित हो गई। स्वतंत्रता मिलने तक करीब करीब सभी हिंसक क्रांतिकारी और सेना से विद्रोह करके आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होने वाले और नौसेना में विद्रोह करने वाले नौसैनिक थक कर टूट चुके थे। उनकी अनुपस्थिति या अप्रासंगिकता के कारण उनकी कहानी अनकही ही रह गई। उसी अनकही कहानी को संजीव सान्याल ने सुव्यवस्थित तरीके से बताने की कोशिश की है। उनका कहना है की हमारे मानसपटल पर ये बात छाप दी गई है की हमें आज़ादी अहिंसक तरीके से मिली और ये हिंसक क्रांतिकारी इस कहानी में क्षेपक की तरह कभी कभी छिटपुट घटनाएं करते रहते थे।  लेकिन ये सत्य नहीं है।  हिंसक क्रांति का इतिहास भी बहुत समृद्ध है और उसकी परिकल्पना, उसकी विचारधारा और अंत में उसके क्रियान्वयन में गहरा तालमेल है जो दशकों तक बड़े संगठित रूप से चला है।   

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    23 分
  • किताब किस्से और कहानियाँ: 48 लॉज़ ऑफ़ पावर। kitab, kisse aur kahaniyan: 48 Laws of Power
    2023/10/29


    दुनिया में शक्ति की कामना सबको है लेकिन वैशाली की नगरवधू की तरह वो रहती हमेशा शक्तिशाली लोगों के हाथ में है।  एक आम आदमी उसे पाने को तरसता है और कुछ लोगों को वो सहज ही प्राप्त हो जाती है। किसी कार्यालय, समाज, परिवार या दो व्यक्तियों के बीच में कोई एक ज़्यादा प्रभावशाली होता है और उसका प्रभुत्व ज़्यादा होता है।  लेकिन ऐसा क्या जादू है कुछ लोगों में जो हमेशा शक्ति के शीर्ष पर रहते हैं। 48 लॉज़ ऑफ़ पावर यानी शक्ति के 48 सिद्धांत में इसी रहस्य से पर्दा उठाया गया है। इसके लेखक रॉबर्ट ग्रीन कहते हैं की शक्ति के सिद्धांतों को आम आदमी को समझना चाहिए क्योंकि जो इसके शिखर पर हैं वो तो स्वतः ही इसे जानते हैं और इसके निष्णात खिलाड़ी हैं। लेकिन हमें इन सिद्धांतों के बारे में इसलिए जानना चाहिए ताकि हम उन लोगों के चंगुल से खुद को आज़ाद रख सकें जो हमारे समय, संसाधन, भावनाओं और ऊर्जा को चूस कर अपना उल्लू सीधा करते हैं।  

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    17 分
  • किताब किस्से और कहानियाँ: फ्यूचर शॉक। kitab, kisse aur kahaniyan: Future  Shock 
    2023/10/09


    सन 1970 में एक अमेरिकी पत्रकार और लेखक एल्विन टॉफलर और उनकी पत्नी हेयडी टॉफलर ने एक पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक था फ्यूचर शॉक।  जैसे ही ये किताब बाजार में आई तो पूरे अमेरिका और पश्चिमी जगत में हंगामा मच गया।  इसमें दोनों लेखकों ने उन मुद्दों को उठाया या यूँ कहें की उन मुद्दों की जड़ तक गए जिनके कारण पूरी पश्चिमी सभ्यता कई ऐसी परेशानियों से जूझने लगी थी जिसके समाधान उन्हें नहीं मिल रहे थे।  पूरा पश्चिमी जगत इस बात से हैरान था की उन्हें अपनी परेशानियों के कारण क्यों नहीं मिल रहे और वे क्यों उन सात अंधों की तरह अपनी परेशानी रुपी हाथी को अलग अलग जगह से छू कर उसका समाधान निकालने की कोशिश कर रहे थे जो सर्वथा  अनुपयुक्त था। आखिरकार उनको फ्यूचर शॉक में अपना जवाब मिला।  इसमें एल्विन और हेईडी ने ये कहाँ की आधुनिक पश्चिमी समाज की परेशानी ये है की भविष्य के समाज में आने की गति बहुत तेज़ हो गई है।  यानी समाज में टेक्नोलॉजी और उसके कारण आने वाले सामाजिक मूल्यों, तौर तरीकों और व्यवस्थाओं में अपरिवर्तन की गति इतनी तेज़ हो गई है की कोई भी व्यक्ति उससे तालमेल नहीं बैठा पा रहा है। इस परिवर्तन से अभिभूत होने के कारण और उसके सामने असहाय और अप्रासांगिक होने के कारण वो उससे जूझने के लिए हिंसा, रोड़े अटकने, पुरातन से चिपके रहने, दुखी होने, या ज़रूरत से ज़्यादा खुश होने जैसे तमाम हथकंडे अपना रहा है।  वो कुछ भी कर ले और कितना भी अच्छा नाटक कर ले लेकिन सच ये है की वो परिवर्तन की गति से असहज है। और इसी बात को उन्होंने  उदाहरणों से समझाया और बताया की इसका असर किन रूपों में दिखाई दे रहा है। 

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    18 分
  • किताब, किस्से और कहानियाँ: द फोर ऑवर वर्क वीक। kitab, kisse aur kahaniyaan: The 4 hour work week
    2023/10/01


    अमेरिकी उद्यमी और लेखक टीम फेरिस की लिखी इस किताब ने कुछ ही वर्ष पहले अमेरिका सहित बाकी दुनिया में खूब धूम मचाई।  फेरिस के मुताबिक अपना जीवन रोज़ अपनी शर्तों पर जीना ज़रूरी है।  ये परंपरागत सोच की एक दिन जब बहुत सारा पैसा हो जाएगा तब मौज करेंगे गलत है। फेरिस कहते हैं की अब एक नए किस्म का धनाढ्य वर्ग पैदा हो रहा है जो दुनिया अपनी मुट्ठी में नहीं करना चाहता बल्कि इतना धन कमाना चाहता है की वो बिना किसी को छुट्टी की अर्ज़ी दिए जब चाहे जहाँ चाहे वहां घूमने जा सकता है। बिना किसी चीज़ का दाम देखे उसे खरीद सकता है और एक जगह रह कर सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक नौकरी करने के बजाए दुनिया में कहीं भी रह कर अपनी मर्ज़ी के बनाए टाईमटेबल पर काम कर सकता है।  उन्होंने ये करके दिखाया है और उनका मानना है की बाकि लोग भी थोड़ा बहुत फेरबदल करके इस जीवनशैली को अपना सकते हैं।

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    20 分
  • किताब किस्से और कहानियाँ: एनिमल फार्म। kitab, kisse aur kahaniyan: Animal Farm 
    2023/09/25

    रूसी क्रांति के दो दशक बाद जब साम्यवाद या कम्युनिज्म का प्रसार पूरी दुनिया में होने लगा और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी यूरोप के देशों ने उसे रोकने की कोशिश की तो ये संघर्ष हर स्तर पर शुरू हो गया।  सामरिक, आर्थिक, भौतिक, राजनैतिक और सामाजिक स्तर के साथ साथ शिक्षा, साहित्य, फिल्म और संस्कृति पर भी इस शीत युद्ध का असर देखने को मिलने लगा।  एक तरफ अमेरिका था और दूसरी ओर रूस के नेतृत्व में सोवियत संघ।  दोनों के बीच गज़ब की लागडाँट थी।  करीब 45 वर्ष चले इस संघर्ष में दोनों महाशक्तियों ने एक दूसरे पर एक गोली भी नहीं चलाई पर अंत में सोवियत संघ टूट गया।  इसी संघर्ष की शुरुआत में अँगरेज़ लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने एनिमल फार्म नाम का एक उपन्यास लिखा।  इस उपन्यास में उन्होंने साम्यवादियों के चरित्र, उनकी नीचता और उसके परिणाम की कहानी लिखी।  इसमें जानवरों के माध्यम से कहानी कही गई और प्रतीकात्मक रूप से साम्यवादियों को सूअर प्रजाति का दिखाया गया। ये उपन्यास बहुत चर्चित हुआ और जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो लोगों ने एक बार फिर इसे पढ़ा और वे हैरान रह गए की जैसे ओरवेल ने इसके पतन की बात लिखी थी वैसे ही ये पतन असल में हुआ।  एकदम किसी निर्देशक द्वारा लिखी गई पटकथा की तरह। इसने जॉर्ज ओरवेल को लेखक के साथ साथ भविष्यद्रष्टा की पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया।   


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    15 分
  • किताब किस्से और कहानियाँ: द प्लेग। kitab, kisse aur kahaniyan: the plague  
    2023/09/18

    आज से अस्सी साल पहले लिखा गया ये उपन्यास महामारी की विभीषिका, उसमें फंसे लोगों की विवशता, आतंक और छटपाहतात के साथ साथ मुट्ठी भर लोगों के बलिदान की ऐसी कहानी सुनाता है जिसका कोई सानी नहीं है। अल्जीरिया में जन्मे फ़्रांसिसी लेखक अल्बर्ट कामू का विष्व प्रसिद्ध उपन्यास कोविद महामारी के दौरान एक बार फिर चर्चा में आया और सौ साल बाद पहली बार वैश्विक महामारी से जूझ रहे समाज ने इस उपन्यास के माध्यम से न सिर्फ पुरातन विभीषिका को जिया बल्कि उससे जूझने की प्रेरणा भी ली।    

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    17 分
  • किताब, किस्से और कहानियाँ: सेपियन्स।  kitab, kisse aur kahaniyaan: Sapiens
    2023/09/10

    सन 2013  से 2023 के बीच लाखों किताबें छपी होंगी लेकिन एक इसराईली लेखक युवाल नोआ हरारी ने विश्व पटल पर जितनी धूम मचाई उतनी लोकप्रियता शायद ही किसी पुस्तक को मिली हो? युवाल इतिहास के प्रोफेसर है और इजराइल में हिब्रू यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। अपने छात्रों को पढ़ने के लिए बनाए विश्व इतिहास के अपने नोट्स की मदद से उन्होंने ये किताब लिखी और विश्व प्रसिद्ध हो गए। पुस्तक कितनी लोकप्रिय है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिल गेट्स जैसे लोगों ने इसका अनुमोदन किया है।  लेकिन विश्व इतिहास लिखने की कोशिश में हरारी की पश्चिम और अब्राहमिक धार्मिक सोच और पूर्वी संस्कृतियों और सभ्यताओं के प्रति पश्चिमी मानस का सहज दुराग्रह भी जाहिर होता है। फिर भी किताब लेखन की शैली बहुत ही रोचक है और इसे पढ़ना ज़रूर चाहिए।  लेकिन अगर आप भारतीय मूल के पाठक है तो आपको इस पुस्तक में निहित निष्कर्षों को स्वतः ही स्वीकार नहीं करना चाहिए। 

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    20 分