
किताब किस्से और कहानियाँ: फ्यूचर शॉक। kitab, kisse aur kahaniyan: Future Shock
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このコンテンツについて
सन 1970 में एक अमेरिकी पत्रकार और लेखक एल्विन टॉफलर और उनकी पत्नी हेयडी टॉफलर ने एक पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक था फ्यूचर शॉक। जैसे ही ये किताब बाजार में आई तो पूरे अमेरिका और पश्चिमी जगत में हंगामा मच गया। इसमें दोनों लेखकों ने उन मुद्दों को उठाया या यूँ कहें की उन मुद्दों की जड़ तक गए जिनके कारण पूरी पश्चिमी सभ्यता कई ऐसी परेशानियों से जूझने लगी थी जिसके समाधान उन्हें नहीं मिल रहे थे। पूरा पश्चिमी जगत इस बात से हैरान था की उन्हें अपनी परेशानियों के कारण क्यों नहीं मिल रहे और वे क्यों उन सात अंधों की तरह अपनी परेशानी रुपी हाथी को अलग अलग जगह से छू कर उसका समाधान निकालने की कोशिश कर रहे थे जो सर्वथा अनुपयुक्त था। आखिरकार उनको फ्यूचर शॉक में अपना जवाब मिला। इसमें एल्विन और हेईडी ने ये कहाँ की आधुनिक पश्चिमी समाज की परेशानी ये है की भविष्य के समाज में आने की गति बहुत तेज़ हो गई है। यानी समाज में टेक्नोलॉजी और उसके कारण आने वाले सामाजिक मूल्यों, तौर तरीकों और व्यवस्थाओं में अपरिवर्तन की गति इतनी तेज़ हो गई है की कोई भी व्यक्ति उससे तालमेल नहीं बैठा पा रहा है। इस परिवर्तन से अभिभूत होने के कारण और उसके सामने असहाय और अप्रासांगिक होने के कारण वो उससे जूझने के लिए हिंसा, रोड़े अटकने, पुरातन से चिपके रहने, दुखी होने, या ज़रूरत से ज़्यादा खुश होने जैसे तमाम हथकंडे अपना रहा है। वो कुछ भी कर ले और कितना भी अच्छा नाटक कर ले लेकिन सच ये है की वो परिवर्तन की गति से असहज है। और इसी बात को उन्होंने उदाहरणों से समझाया और बताया की इसका असर किन रूपों में दिखाई दे रहा है।