• Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11

  • 著者: Yatrigan kripya dhyan de!
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Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11

著者: Yatrigan kripya dhyan de!
  • サマリー

  • In this chapter, he requests the Lord to show him His viśhwarūp, or the infinite cosmic form. Shree Krishna grants Arjun divine vision to see His infinite-form that comprises all the universes. Arjun sees the entire creation in the body of the God of gods with unlimited arms, faces, and stomachs. It has no beginning or end and extends immeasurably in all directions. His radiance is similar to a thousand suns blazing together in the sky. The sight dazzles Arjun, and his hair stands on end. He witnesses the three worlds trembling with fear of God’s laws and the celestial gods taking His shelter.
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あらすじ・解説

In this chapter, he requests the Lord to show him His viśhwarūp, or the infinite cosmic form. Shree Krishna grants Arjun divine vision to see His infinite-form that comprises all the universes. Arjun sees the entire creation in the body of the God of gods with unlimited arms, faces, and stomachs. It has no beginning or end and extends immeasurably in all directions. His radiance is similar to a thousand suns blazing together in the sky. The sight dazzles Arjun, and his hair stands on end. He witnesses the three worlds trembling with fear of God’s laws and the celestial gods taking His shelter.
Yatrigan kripya dhyan de!
エピソード
  • Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 37
    2025/05/06

    This verse, Bhagavad Gita 11.37, is part of the Vishwaroop Darshan (Universal Form) chapter, where Arjuna glorifies Lord Krishna after witnessing His cosmic form. Arjuna acknowledges Krishna as the Supreme Being, the origin of all creation, even greater than Brahma. He expresses wonder at Krishna’s infinite, eternal, and transcendental nature, describing Him as the Lord of all gods and the ultimate refuge of the universe.

    This shloka reflects devotion, surrender, and realization of Krishna’s divine supremacy in the Bhagavad Gita. It emphasizes the eternal nature of the Supreme Lord, who transcends both the material (sadasat) and the spiritual realms.

    #BhagavadGita #LordKrishna #Vishwaroop #KrishnaConsciousness #SanatanDharma #DivineWisdom #Spirituality #HinduScriptures #EternalTruth #KrishnaBhakti #GitaTeachings #HolyVerses #BhaktiYoga #Dharma #UniversalForm

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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 36
    2025/05/06
    📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 36संस्कृत श्लोक: "अर्जुन उवाच |स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्याजगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च |रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्तिसर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसङ्घा: || 36||" "अर्जुन ने कहा – हे हृषीकेश! आपकी महिमा का प्रचार होने से यह संपूर्ण जगत प्रसन्न हो जाता है और उसकी आत्मा प्रसन्नतापूर्वक आपकी पूजा करती है। राक्षसों के समूह भी भयभीत होकर दिशाओं में भागते हैं, और सिद्धों के समूह आपका अभिवादन करते हैं।" 👉 "स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या" – अर्जुन भगवान श्री कृष्ण को संबोधित करते हुए कहते हैं कि जब आपका नाम और आपकी महिमा फैलती है, तो यह जगत खुशी से भर जाता है।👉 "जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च" – आपके नाम से सम्पूर्ण संसार के प्राणियों के हृदय में उल्लास का संचार होता है।👉 "रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति" – राक्षसों के दल डर से दिशाओं में भाग जाते हैं। इस वाक्य में यह स्पष्ट होता है कि भगवान श्री कृष्ण के दिव्य रूप और शक्ति से राक्षस भी भयभीत हो जाते हैं।👉 "सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसङ्घा:" – सभी सिद्ध और महान आत्माएं, जो उच्च अवस्था में हैं, भगवान श्री कृष्ण के सामने सिर झुका कर उनका सम्मान करती हैं। ✍️ सरल शब्दों में:यह श्लोक भगवान श्री कृष्ण के महान रूप को व्यक्त करता है, जिससे संसार में हर जीव को खुशी मिलती है और राक्षसों को भय का अनुभव होता है। सिद्ध और देवता भी उनकी महिमा का सम्मान करते हैं। ✅ यह श्लोक यह दर्शाता है कि भगवान श्री कृष्ण की महिमा से सम्पूर्ण ब्रह्मांड उत्साहित और भयमुक्त हो जाता है। भगवान का रूप इतना महान है कि वह सभी प्राणियों के दिलों में श्रद्धा और सम्मान का संचार करता है।✅ यह श्लोक भगवान की अपार शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है, जो सभी को सम्मान देने के साथ-साथ किसी भी बुराई या राक्षसी प्रवृत्ति को नष्ट कर देती है। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 36🕉 भगवान श्री कृष्ण की महिमा से सम्पूर्ण संसार प्रसन्न हो जाता है और राक्षस भी भयभीत होकर दिशाओं में भागते हैं। सिद्धों के समूह उनका सम्मान करते हैं।🙏 भगवान की दिव्यता और शक्ति के सामने सभी सिर झुका कर उनकी पूजा करते हैं। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक ...
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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 11 | श्री भगवद गीता अध्याय 11| श्लोक 35
    2025/05/05
    📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 35संस्कृत श्लोक: "सञ्जय उवाच |एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्यकृताञ्जलिर्वेपमान: किरीटी |नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णंसगद्गदं भीतभीत: प्रणम्य || 35||" "सञ्जय ने कहा – यह वचन सुनकर, केशव के शब्दों को, अर्जुन ने कृतज्ञ भाव से हाथ जोड़कर, कांपते हुए, डरते-डरते, माला पहनने वाले कृष्ण के चरणों में प्रणाम किया।" 👉 "एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य" – इस श्लोक में सञ्जय अर्जुन के द्वारा भगवान श्री कृष्ण के वचनों को सुनने के बाद की स्थिति का वर्णन कर रहे हैं। अर्जुन ने श्री कृष्ण के वचन सुने और उन वचनों का प्रभाव उस पर पड़ा।👉 "कृताञ्जलिर्वेपमान: किरीटी" – अर्जुन ने हाथ जोड़कर, श्रद्धा और विनम्रता के साथ भगवान के वचनों को सुना और उसकी हालत इतनी गंभीर हो गई कि वह कांपने लगा। उसका मस्तक सुशोभित था, क्योंकि वह रक्षक और ईश्वर के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा प्रकट कर रहा था।👉 "नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं" – उसने फिर से भगवान कृष्ण को प्रणाम किया।👉 "सगद्गदं भीतभीत: प्रणम्य" – अर्जुन कांपते हुए, भयभीत होकर, भगवान श्री कृष्ण के चरणों में झुका और उनसे आशीर्वाद लिया। ✍️ सरल शब्दों में:यह श्लोक यह बताता है कि भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को सुनने के बाद अर्जुन पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। वह कांपते हुए भगवान श्री कृष्ण के चरणों में प्रणाम करता है, उसकी आँखों में भय और श्रद्धा की मिश्रित भावना थी। ✅ यह श्लोक दर्शाता है कि अर्जुन का हृदय भगवान कृष्ण के वचनों से अभिभूत था। वह अपने कर्तव्य और कृष्ण के दिव्य रूप को समझते हुए, उनके चरणों में समर्पित हो गया।✅ यह श्लोक यह भी बताता है कि भगवान की उपस्थिति और उनकी दिव्य शक्ति के सामने हम किस प्रकार अपने अहंकार को छोड़कर, विनम्रता से शरण लेते हैं। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 35🕉 अर्जुन ने भगवान कृष्ण के वचनों को सुना और कांपते हुए, भयभीत और श्रद्धालु भाव से उनके चरणों में प्रणाम किया।🙏 श्रद्धा और विनम्रता के साथ भगवान के चरणों में शरण लें, यही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #Arjuna #KrishnaWisdom #Bhakti #DivineGuidance #SpiritualAwakening #FaithInGod #Hinduism #...
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