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サマリー
あらすじ・解説
📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 35संस्कृत श्लोक: "सञ्जय उवाच |एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्यकृताञ्जलिर्वेपमान: किरीटी |नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णंसगद्गदं भीतभीत: प्रणम्य || 35||" "सञ्जय ने कहा – यह वचन सुनकर, केशव के शब्दों को, अर्जुन ने कृतज्ञ भाव से हाथ जोड़कर, कांपते हुए, डरते-डरते, माला पहनने वाले कृष्ण के चरणों में प्रणाम किया।" 👉 "एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य" – इस श्लोक में सञ्जय अर्जुन के द्वारा भगवान श्री कृष्ण के वचनों को सुनने के बाद की स्थिति का वर्णन कर रहे हैं। अर्जुन ने श्री कृष्ण के वचन सुने और उन वचनों का प्रभाव उस पर पड़ा।👉 "कृताञ्जलिर्वेपमान: किरीटी" – अर्जुन ने हाथ जोड़कर, श्रद्धा और विनम्रता के साथ भगवान के वचनों को सुना और उसकी हालत इतनी गंभीर हो गई कि वह कांपने लगा। उसका मस्तक सुशोभित था, क्योंकि वह रक्षक और ईश्वर के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा प्रकट कर रहा था।👉 "नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं" – उसने फिर से भगवान कृष्ण को प्रणाम किया।👉 "सगद्गदं भीतभीत: प्रणम्य" – अर्जुन कांपते हुए, भयभीत होकर, भगवान श्री कृष्ण के चरणों में झुका और उनसे आशीर्वाद लिया। ✍️ सरल शब्दों में:यह श्लोक यह बताता है कि भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को सुनने के बाद अर्जुन पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। वह कांपते हुए भगवान श्री कृष्ण के चरणों में प्रणाम करता है, उसकी आँखों में भय और श्रद्धा की मिश्रित भावना थी। ✅ यह श्लोक दर्शाता है कि अर्जुन का हृदय भगवान कृष्ण के वचनों से अभिभूत था। वह अपने कर्तव्य और कृष्ण के दिव्य रूप को समझते हुए, उनके चरणों में समर्पित हो गया।✅ यह श्लोक यह भी बताता है कि भगवान की उपस्थिति और उनकी दिव्य शक्ति के सामने हम किस प्रकार अपने अहंकार को छोड़कर, विनम्रता से शरण लेते हैं। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 35🕉 अर्जुन ने भगवान कृष्ण के वचनों को सुना और कांपते हुए, भयभीत और श्रद्धालु भाव से उनके चरणों में प्रणाम किया।🙏 श्रद्धा और विनम्रता के साथ भगवान के चरणों में शरण लें, यही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #Arjuna #KrishnaWisdom #Bhakti #DivineGuidance #SpiritualAwakening #FaithInGod #Hinduism #...