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サマリー
あらすじ・解説
📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 34संस्कृत श्लोक: "द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं चकर्णं तथान्यानपि योधवीरान् |मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठायुध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान् || 34||" "द्रोण, भीष्म, जयद्रथ, कर्ण और अन्य योधा वीरों को मैंने पहले ही मार डाला है। तुम उन्हें हतोत्साहित न हो, तुम युद्ध करो और शत्रुओं को हराओ। तुम्हारी विजय निश्चित है।" 👉 "द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च" – श्रीकृष्ण ने बताया कि द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, जयद्रथ, कर्ण और अन्य महान योद्धा पहले ही मारे जा चुके हैं।👉 "कर्णं तथान्यानपि योधवीरान्" – कर्ण और अन्य वीर योद्धाओं का संहार भी हो चुका है।👉 "मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा" – अर्जुन को कह रहे हैं कि तुम व्यथित मत हो, यह युद्ध पहले ही जीत लिया गया है।👉 "युध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान्" – अब तुम बस युद्ध करो, तुम्हारी विजय निश्चित है और शत्रु पराजित होंगे। ✍️ सरल शब्दों में:भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि युद्ध में जीत निश्चित है क्योंकि शत्रु पहले ही नष्ट हो चुके हैं। अर्जुन को केवल अपनी भूमिका निभानी है और युद्ध में विजय प्राप्त करनी है। ✅ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह विश्वास दिलाया कि वह पहले से ही विजय प्राप्त कर चुके हैं, क्योंकि शत्रु पहले ही नष्ट हो चुके हैं। अब अर्जुन को केवल अपनी भूमिका निभानी है।✅ यह श्लोक यह समझाता है कि भगवान की योजना से कोई भी पराजित नहीं हो सकता है, अगर उसकी भूमिका सही तरीके से निभाई जाए। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 34🕉 भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि शत्रु पहले ही नष्ट हो चुके हैं। अर्जुन को केवल अपनी भूमिका निभानी है और विजय प्राप्त करनी है।🙏 विश्वास और धैर्य के साथ अपनी भूमिका निभाएं, आपकी विजय निश्चित है। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #VictoryInLife #KrishnaWisdom #Arjuna #Hinduism #DivineGuidance #SpiritualAwakening #FaithInGod #GodsWill 📜 हिंदी अनुवाद:📝 व्याख्या (Explanation):🔎 निष्कर्ष (Conclusion):📌 Description (विवरण) for YouTube or Social Media:📌 Relevant Hashtags (हैशटैग्स)