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サマリー
あらすじ・解説
📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 33संस्कृत श्लोक: "तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्वजित्वा शत्रून्भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम् |मयैवैते निहता: पूर्वमेवनिमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् || 33||" "इसलिए, उठो और यश प्राप्त करो। शत्रुओं को जीतकर समृद्ध राज्य का भोग करो। ये सभी शत्रु पहले से ही मारे जा चुके हैं, मैं ही उनके संहार का कारण हूं। तुम तो केवल निमित्त (कारण) हो, हे सव्यसाचि!" 👉 "तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व" – श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि अब तुम उठो और युद्ध में विजय प्राप्त करो।👉 "जित्वा शत्रून्भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्" – तुम शत्रुओं को हराकर समृद्ध राज्य का सुख भोगोगे।👉 "मयैवैते निहता: पूर्वमेव" – यह शत्रु पहले से ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं, उनका संहार पहले ही हो चुका है।👉 "निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्" – तुम केवल निमित्त (कारण) हो, तुम्हारी भूमिका केवल एक माध्यम की है, शेष काम मैं कर चुका हूं, तुम बस इसे घटित होने दो। ✍️ सरल शब्दों में:भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि शत्रु पहले से ही नष्ट हो चुके हैं, तुम केवल एक माध्यम हो। अब तुम उठो, शत्रुओं को हराओ और विजय प्राप्त करो, क्योंकि यह युद्ध भगवान की इच्छा से ही हो रहा है और तुम इसके कारण मात्र हो। ✅ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि उनकी विजय निश्चित है, क्योंकि भगवान ने पहले ही शत्रुओं का संहार कर दिया है। अर्जुन को सिर्फ अपनी भूमिका निभानी है।✅ यह श्लोक यह दर्शाता है कि भगवान की योजना के अनुसार, हम जो कार्य करते हैं, वह पहले से निर्धारित होता है और हम उस कार्य के माध्यम मात्र होते हैं। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 33🕉 भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि शत्रु पहले से ही नष्ट हो चुके हैं, और अर्जुन को केवल युद्ध में अपना कर्तव्य निभाना है।🙏 भगवान की योजना के अनुसार कार्य करें और विजय सुनिश्चित है। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #जीवनकीयोजना #VictoryInLife #KrishnaWisdom #Arjuna #Hinduism #GodsWill #DivineGuidance #Yoga #SpiritualAwakening 📜 हिंदी अनुवाद:📝 व्याख्या (Explanation):🔎 निष्कर्ष (Conclusion):📌 Description (विवरण) for YouTube or Social Media:📌 Relevant Hashtags (हैशटैग्स):