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サマリー
あらすじ・解説
📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 32संस्कृत श्लोक: "श्रीभगवानुवाच |कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त: |ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वेयेऽवस्थिता: प्रत्यनीकेषु योधा: || 32||" "श्रीभगवान ने कहा - मैं समय (काल) हूं, जो सभी लोकों का संहार करने के लिए इस समय प्रवृत्त हूं। सभी योधा, जो विभिन्न पक्षों पर स्थित हैं, वे मेरे बिना नष्ट हो जाएंगे।" 👉 "कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो" – भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मैं समय हूं, जो संसार के संहार का कारण बनता हूं।👉 "लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त:" – मैं इस समय उन सभी जीवों का संहार करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूं जो इस पृथ्वी पर जन्मे हैं।👉 "ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे" – भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम और तुम्हारे साथ के सभी लोग, जो युद्ध में शामिल हैं, मेरी इच्छा के बिना नहीं बच सकते।👉 "येऽवस्थिता: प्रत्यनीकेषु योधा:" – वे सभी योद्धा जो विपरीत पक्ष में हैं, वे सब मेरे द्वारा नष्ट कर दिए जाएंगे, यह सुनिश्चित है। ✍️ सरल शब्दों में:भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मैं समय हूं, और मैं लोकों के संहार के लिए उपस्थित हूं। जो भी योधा युद्ध में भाग ले रहे हैं, वे मेरी इच्छा के अनुसार नष्ट हो जाएंगे, चाहे वे किसी भी पक्ष में हों। ✅ भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहा कि समय (काल) के रूप में उनका उद्देश्य सभी को संहार करना है। कोई भी व्यक्ति, जो युद्ध में शामिल होगा, उसे भगवान के नियमानुसार मृत्यु का सामना करना पड़ेगा।✅ यह श्लोक यह दर्शाता है कि भगवान के आदेश और समय के अनुसार सभी घटनाएँ घटित होती हैं। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 11 (विश्वरूपदर्शनयोग) - श्लोक 32🕉 भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वे समय के रूप में संहारक शक्ति के रूप में इस युद्ध में सभी को नष्ट करने के लिए प्रवृत्त हैं।🙏 समय की शक्ति और भगवान के नियमन को समझें। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #काल #BhagavadGita #KrishnaWisdom #Hinduism #TimeIsPower #GodsWill #DivinePlan #Karma