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サマリー
あらすじ・解説
📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 1 1 श्लोक 30संस्कृत श्लोक: "लेलिह्यसे ग्रसमान: समन्ता- ल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भि: | तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं भासस्तवोग्रा: प्रतपन्ति विष्णो || 30||" "तुम अपने मुख से ज्वाला की भांति आग उगलते हुए सम्पूर्ण लोकों को निगल रहे हो,तेरी तेजोमयी किरणें सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित कर रही हैं और जलाते हुए तपते हुए दीखती हैं।" 👉 "लेलिह्यसे ग्रसमान: समन्ता- लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भि:" – भगवान श्रीकृष्ण के रूप का वर्णन करते हुए अर्जुन कह रहे हैं कि भगवान अपने मुख से अत्यंत प्रचंड ज्वाला की तरह समस्त लोकों को निगल रहे हैं। उनका रूप इतना भयंकर है कि वह सम्पूर्ण विश्व को संहार कर रहे हैं।👉 "तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं" – भगवान श्रीकृष्ण की तेजोमयी किरणें सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपनी प्रभा से भर देती हैं और उसे आलोकित करती हैं।👉 "भासस्तवोग्रा: प्रतपन्ति विष्णो" – भगवान के तेजस्वी रूप की आभा इतनी प्रचंड है कि वह सभी लोकों को जलाती हुई प्रतीत होती है। उनकी तेज़ी और शक्ति से सम्पूर्ण जगत द्रवित हो रहा है। ✍️ सरल शब्दों में:भगवान श्रीकृष्ण के रूप की जो भव्यता और शक्ति है, वह अत्यधिक प्रचंड और असाधारण है। उनकी मुख से निकली ज्वाला सम्पूर्ण लोकों को निगलने के लिए तैयार है, और उनकी तेजोमयी किरणों से सम्पूर्ण ब्रह्मांड आलोकित हो रहा है। यह दृश्य भय और आश्चर्यजनक है। ✅ यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की उस रूप को दर्शाता है, जिसमें वह संहारक के रूप में प्रकट होते हैं।✅ उनकी वह तेजस्विता और प्रचंड शक्ति सम्पूर्ण संसार को अर्पित करती है। 📖 श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय 10 (विभूतियोग) - श्लोक 30🕉 भगवान श्रीकृष्ण के तेजस्वी रूप का वर्णन:"तुम अपने मुख से ज्वाला की भांति आग उगलते हुए सम्पूर्ण लोकों को निगल रहे हो,तेरी तेजोमयी किरणें सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित कर रही हैं और जलाते हुए तपते हुए दीखती हैं।"🙏 यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण के प्रचंड रूप की महिमा को दिखाता है, जो संहारक रूप में भी अपनी दिव्यता का प्रदर्शन करते हैं। 📢 वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें!🔔 नई आध्यात्मिक जानकारियों के लिए बेल आइकन दबाएं। #श्रीमद्भगवद्गीता #भगवद्गीता #गीता_सार #SanatanDharma #BhagavadGita #KrishnaWisdom #Hinduism #VibhutiYoga #Vedanta #Spirituality #DivineForms #ShreemadBhagwatGeeta #Mahabharat #HigherConsciousness #...