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Ramanand Sagar’s Ramayan Now As Podcast

Ramanand Sagar’s Ramayan Now As Podcast

著者: Tilak
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このコンテンツについて

Step into the timeless world of devotion and grandeur with this audio reimagining of Ramayan. Inspired by Ramanand Sagar’s cultural phenomenon, the podcast brings the epic alive through voice, music, and sound. Beginning with Baal Kaand—Rama’s divine birth, childhood, and sacred wedding—the journey moves into Ayodhya Kaand, capturing Kaikeyi’s demand, Rama’s exile, and Bharata’s devotion. Each episode offers not just a story, but an immersive spiritual experience filled with wisdom and divinity.Tilak スピリチュアリティ ヒンズー教
エピソード
  • SHRI RAM GURUKUL SHIKSHA
    2025/09/12

    समय के साथ राजा दशरथ के चारों पुत्र - राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न बड़े होने लगते हैं। वे अपने बाल्यकाल को अन्य बच्चों की भाँति खेलकूद में बिताते हैं। शिक्षा ग्रहण करने की आयु आने पर राजा दशरथ अपने सभी पुत्रों को महर्षि वशिष्ठ के गुरुकुल में भेजने के लिए रानियों और राजपुत्रों के साथ चर्चा करते हुए शिक्षा के महत्व को समझाने के साथ स्पष्ट करते हैं कि गुरुकुल में सभी शिष्य समान होते हैं - राजपुत्र और सामान्य बालक में कोई भेद नहीं किया जाता। गुरुकुल प्रस्थान से पूर्व महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ, रानियों और समस्त साधु-संतों की उपस्थिति में चारों राजकुमारों का विधिपूर्वक उपनयन संस्कार संपन्न कराते हैं। वे गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताते हैं और यह भी समझाते हैं कि जीवन में माता, पिता और आचार्य का स्थान सर्वोपरि होता है। महर्षि वशिष्ठ के गुरुकुल चारों राजकुमारों को शिक्षा प्रारम्भ होती है। गुरु उन्हें सिखाते हैं कि आहार, व्यवहार और विचारों का मनुष्य के शरीर और मन पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही वे यह भी बताते हैं कि जैसे शिष्य के कुछ कर्तव्य होते हैं, वैसे ही गुरु का भी यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने शिष्य को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने योग्य बनाए। सभी राजकुमार गुरुकुल की परंपराओं का पालन करते हुए उच्च और गूढ़ शिक्षाओं को ग्रहण करते है। एक तरफ महर्षि वशिष्ठ उनको मानसिक और बौद्धिक संस्कार प्रदान कर परिपक्व बनाते हैं तो वही दूसरी तरफ गुरु माँ अरुंधति भी सभी को मातृत्व प्रदान करते हुए उनका चौमुखी विकास करती है। महर्षि वशिष्ठ उन्हें मानव शरीर के सात केंद्रों की महत्ता को स्पष्ट करते योग के द्वारा उनको काबू में करने का अभ्यास कराते है।

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    29 分
  • SHRI RAM JANAM
    2025/08/22

    जब राक्षसराज रावण ब्रह्मा और महादेव के वरदान स्वरूप असीम शक्तियाँ प्राप्त करके पृथ्वी और देवलोक पर अत्याचार करने लगता है, उसके पाप कर्मों से पृथ्वी पर धर्म और सत्य की हानि होने लगती है। तब देवता और साधु-संत उसकी शक्ति के सामने असहाय हो जाते हैं और उसके अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को स्मरण कराते हैं कि जब-जब धरती पर अधर्म का प्रभाव बढ़ता है और धर्म संकट में पड़ता है, तब भगवान को मानव रूप में अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करनी पड़ती है। विष्णु सभी को आश्वस्त करते है कि वह मानव रुप में अवतार लेकर रावण का विनाश करेंगे। वही दूसरी तरफ पृथ्वी पर अयोध्या के संतानहीन राजा दशरथ महर्षि वशिष्ठ के सुझाव पर अथर्ववेद के ज्ञाता शृंग मुनि से ‘पुत्रकामेष्ठि यज्ञ’ करवाते है। यज्ञ के अंत में अग्निदेव प्रकट होते हैं और खीर से भरा एक पात्र राजा दशरथ को देते हैं, जो इच्छापूर्ति का वरदान लिए होता है। राजा दशरथ वह खीर रानियों कौशल्या और कैकेयी को दे देते हैं। स्नेहवश दोनों रानियाँ अपनी खीर का आधा-आधा भाग रानी सुमित्रा को दे देती हैं। समय के साथ नवमी तिथि और पुनर्वसु नक्षत्र के शुभ योग में तीनों रानियों को पुत्र प्राप्त होते हैं। कौशल्या और कैकेयी को एक-एक पुत्र होता है, जबकि दो अंश खीर ग्रहण करने वाली सुमित्रा को जुड़वाँ पुत्रों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, देवी-देवताओं और धरतीवासियों की प्रतीक्षा पूर्ण होती है। महर्षि वशिष्ठ द्वारा बच्चों का नामकरण संस्कार सम्पन्न होता है। वे कहते हैं कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए तथा सम्पूर्ण जगत को आनंद प्रदान करने हेतु जन्मे ज्येष्ठ पुत्र का नाम "राम" होगा। कैकेयी के पुत्र का नाम "भरत", और सुमित्रा के जुड़वाँ पुत्रों के नाम "लक्ष्मण" और "शत्रुघ्न" रखे जाते हैं। वशिष्ठ यह भी भविष्यवाणी करते हैं कि इन चारों भाइयों के बीच सदा अटूट प्रेम बना रहेगा। राजा दशरथ और उनकी तीनों रानियाँ कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा अपने पुत्रों के बाल्यकाल का सुखपूर्वक आनंद लेते हैं।

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    29 分
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