エピソード

  • श्री मद भागवत कथा-5 श्री कुंती एव श्री भीष्म जी भगवान की स्तुति Premanand ji Maharaj
    2025/09/26
    कुंती ने श्री कृष्ण से दुःख का वरदान माँगा था, जो उनके जीवन में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने के लिए था, और भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के समय श्री कृष्ण के चरणों में लीन होकर उन्हें परम सत्य के रूप में देखा और परम शांति पाई। दोनों स्तुतियों का मूल भाव यह है कि सुख-दुख में ईश्वर को याद रखना चाहिए और भक्त का एकमात्र सहारा हरिनाम है।






    कुंती स्तुति


    • कुंती स्तुति में कुंती महारानी ने भगवान श्रीकृष्ण से दुःख का वरदान माँगा था, ताकि वे अपने जीवन में भगवान की उपस्थिति को महसूस कर सकें।



    • यह शिक्षा देती है कि जीवन के सुख-दुख में ईश्वर का सहारा लेना चाहिए और उसके प्रति समर्पित रहना चाहिए।



    • कुंती ने भगवान को कमल के समान शुद्ध और सुंदर बताया, जो कीचड़ में खिलता है।





      भीष्म स्तुति


      • भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के समय, जब वे अपने देह का त्याग कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति की।



      • इस स्तुति में, भीष्म ने भगवान के उस रूप का दर्शन किया जो सभी के हृदय में निवास करता है, भले ही प्रत्येक व्यक्ति उसे अलग-अलग तरीकों से देखता है।



      • भीष्म स्तुति का एक महत्वपूर्ण भाग वेदांत के सर्वोच्च सत्यों को दर्शाता है, जो यह बताता है कि जो हममें है, वही दूसरों में भी है।



      • यह दर्शाता है कि परम सत्य का अनुभव सभी द्वैतभाव को पार करके ही किया जा सकता है, और भगवान ही सबके हृदय में निवास करते हैं।
      • Parmanand ji maharaj
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      • Mahabharat
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  • श्री मद भागवत कथा-4 द्रौपदी के पांच पुत्रों व नारद जी का पूर्व जन्म का वर्णन Prem anand ji Maharaj
    2025/09/26
    महाभारत की सबसे अपमानजनक और भयावह घटनाओं में से एक द्रौपदी का चीर हरण है। यह घटना कुरुक्षेत्र युद्ध का एक प्रमुख कारण बनी। घटना का कारणद्यूत-क्रीड़ा (जुए का खेल): यह घटना तब हुई जब युधिष्ठिर ने कौरवों के साथ जुए का खेल खेला।पांडवों की हार: युधिष्ठिर ने शकुनि से जुए में अपना सब कुछ हार दिया, जिसमें उनका राज्य, उनके भाई और अंत में उनकी पत्नी द्रौपदी भी शामिल थी।दुर्योधन का आदेश: पांडवों की हार के बाद, अहंकारी दुर्योधन ने अपने भाई दु:शासन को द्रौपदी को भरी सभा में लाने का आदेश दिया, ताकि उसका अपमान किया जा सके। चीर हरण का दृश्यदु:शासन का अत्याचार: दु:शासन द्रौपदी को उसके बालों से पकड़कर घसीटते हुए भरी सभा में ले आया।चीर हरण का प्रयास: दुर्योधन के आदेश पर, दु:शासन ने द्रौपदी के वस्त्र खींचने शुरू कर दिए।मूकदर्शक सभा: द्रौपदी ने भीष्म, विदुर और अन्य गुरुजनों से अपनी लाज बचाने की विनती की, लेकिन सभी अपनी जगह पर मौन बैठे रहे। केवल दुर्योधन के भाई विकर्ण ने इसका विरोध किया, लेकिन उसकी बात को दबा दिया गया। भगवान कृष्ण का हस्तक्षेपद्रौपदी की पुकार: जब कोई मदद के लिए आगे नहीं आया, तो द्रौपदी ने असहाय होकर भगवान कृष्ण को पुकारा।चमत्कारिक वस्त्र: द्रौपदी की पुकार सुनकर भगवान कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उसकी साड़ी को अनंत कर दिया।दु:शासन की हार: दु:शासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया, लेकिन वह द्रौपदी को निर्वस्त्र नहीं कर पाया। परिणामकौरव कुल का श्राप: इस अपमान के बाद द्रौपदी ने कुरु वंश को श्राप दिया, जो महाभारत के युद्ध का एक प्रमुख कारण बना।भीम की प्रतिज्ञा: भीम ने प्रतिज्ञा ली कि वह दु:शासन की छाती फाड़कर उसके रक्त से द्रौपदी के बाल धोएगा। उसने यह भी प्रतिज्ञा की कि वह दुर्योधन की जंघा तोड़ेगा।धृतराष्ट्र का भय: धृतराष्ट्र ने अनिष्ट की आशंका से भयभीत होकर द्रौपदी को वरदान मांगने को कहा, जिसके फलस्वरूप पांडवों को उनकी संपत्ति और स्वतंत्रता वापस मिल गई।कुरुक्षेत्र युद्ध का बीज: यह घटना कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध का एक महत्वपूर्ण कारण बनी, जिसने पूरे कुरु वंश का विनाश कर दिया। Premanand ji maharajMahabharatRamayan
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  • श्री मद भागवत कथा-3 भगवान के 24 अवतारों का वर्णन
    2025/09/26
    भगवान विष्णु के चौबीस अवतार इस प्रकार हैं: सनकादि ऋषि (चार कुमार), वराह, नारद मुनि, नर-नारायण, कपिल मुनि, दत्तात्रेय, यज्ञ, ऋषभदेव, पृथु, मत्स्य, कूर्म, धन्वंतरि, मोहिनी, नृसिंह, हयग्रीव, वामन, परशुराम, राम, वेदव्यास, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि. इन अवतारों का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जहाँ बताया गया है कि भगवान विष्णु पृथ्वी पर संकट निवारण और धर्म की स्थापना के लिए विभिन्न रूपों में अवतरित होते हैं. प्रमुख 24 अवतारों की सूची:सनकादि मुनि: ब्रह्मा के चार मानस पुत्र, जो ज्ञान प्रदान करते हैं. वराह: पृथ्वी को रसातल से बचाने के लिए लिया गया सूअर का अवतार. नारद मुनि: ज्ञान और धर्म का प्रचार करने वाले नारद मुनि. नर-नारायण: धर्म की रक्षा और संतुलन के लिए नर और नारायण के रूप में. कपिल मुनि: एक महान ऋषि जिन्होंने सांख्य दर्शन का उपदेश दिया. दत्तात्रेय: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त रूप, जो गुरु के रूप में प्रकट हुए. यज्ञ: धर्म और यज्ञ की रक्षा के लिए लिया गया अवतार. ऋषभदेव: कलि युग में धर्म के प्रचार के लिए अवतार. पृथु: एक आदर्श राजा जिन्होंने पृथ्वी को सुजला-सुफला बनाया. मत्स्य: प्रलय के समय मनु को बचाने वाले मछली अवतार. कूर्म: सागर मंथन के समय मेरु पर्वत को सहारा देने वाले कछुए का अवतार. धन्वंतरि: आयुर्वेद के जनक और देवताओं के चिकित्सक. मोहिनी: देवताओं के अमृत वितरण में मदद करने वाली सुंदर स्त्री अवतार. नृसिंह: हिरण्यकशिपु का वध करने वाले शेर के मुख और मनुष्य के शरीर वाले अवतार. हयग्रीव: देवताओं के लिए वेद ज्ञान को पुनर्प्राप्त करने वाले घोड़े के गले वाले अवतार. वामन: राजा बलि से तीन पग भूमि मांगने वाले बौने ब्राह्मण के रूप में. परशुराम: अधर्मियों का विनाश करने वाले योद्धा राम के अवतार. राम: दशरथ के पुत्र, मर्यादा पुरुषोत्तम. वेदव्यास: वेदों का संकलन करने वाले महर्षि. कृष्ण: गीता का उपदेश देने वाले भगवा के पूर्णावतार. बुद्ध: कलयुग में धर्म की स्थापना के लिए लिया गया अवतार. कल्कि: कलियुग के अंत में बुराई का विनाश करके सतयुग लाने वाले अवतार. Premanand ji maharajRamayanMahabharatरामायणमहाभारतश्रीकृष्ण लीलाश्री मद भागवत गीता
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  • श्री मद भागवत कथा-2 पांच माहा पापो के कष्ट की निवर्ती Premanand Ji Maharaj
    2025/09/26
    श्रीमद्भागवत कथा सनातन धर्म का एक पवित्र और प्रतिष्ठित ग्रंथ है, जिसे 'भागवत पुराण' भी कहा जाता है। यह भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की कहानियों और लीलाओं पर आधारित है, जिसमें विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। यह कथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती है।
    Premanand ji maharaj
    Ramayan
    Mahabharat
    Shree md bhagvat geeta
    रामायण
    महाभारत
    श्री मद भागवत कथा
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  • श्री मद भागवत कथा-1 कलियुग एवं भक्ति महारानी की महिमा Premanand Ji Maharaj
    2025/09/26
    श्रीमद्भागवत कथा सनातन धर्म का एक पवित्र और प्रतिष्ठित ग्रंथ है, जिसे 'भागवत पुराण' भी कहा जाता है। यह भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की कहानियों और लीलाओं पर आधारित है, जिसमें विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। यह कथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के गूढ़ रहस्यों को उजागर करती है।
    Premachand ji maharaj
    Shree md bhagvat katha
    श्री मद भागवत कथा
    श्रीकृष्ण लीला
    रामायण
    महाभारत
    साधन पथ
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  • श्रीकृष्ण जन्म कथा -Premanand ji maharaj
    2025/09/15
    श्री कृष्ण जन्म की कहानी यह है कि श्री विष्णु, कंस के अत्याचारी शासन को समाप्त करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए तैयार हुए। अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में उनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वासुदेव, योगमाया की सहायता से, जेल से कृष्ण को गोकुल ले गए, जहाँ उन्होंने यशोदा और नंद के यहाँ जन्म लिया, और कंस का विनाश करने के लिए बाद में मथुरा वापस लौट आए।
    पृष्ठभूमि
    कंस, देवकी का भाई और मथुरा का अत्याचारी राजा था, जिसे भविष्यवाणी मिली थी कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसे मार देगी। इसलिए, उसने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया।
    जन्म
    श्री विष्णु ने देवकी और वासुदेव के आठवीं संतान के रूप में कृष्ण के रूप में जन्म लिया, जिनका उद्देश्य कंस को समाप्त करना था।
    भागने का मिशन
    जन्म के बाद, योगमाया (श्री विष्णु की शक्ति) ने कंस के जेल के दरवाजों को खोला और वासुदेव को मुक्त किया।
    वासुदेव, योगमाया की सहायता से, अपने शिशु को एक टोकरी में लेकर यमुन नदी के पार गोकुल पहुंचे।
    यमुन नदी ने अपना रास्ता दिया, और गोकुल में, वासुदेव ने कृष्ण को यशोदा और नंद के पास रखा।
    गोकुल में पालन-पोषण
    नंद और यशोदा ने प्यार से कृष्ण का पालन-पोषण किया।
    बाद में कृष्ण बड़े होकर मथुरा लौटे, जहां उन्होंने कंस को उसके बुरे कामों के लिए दंडित किया और सभी को सही कर्म करने की सीख दी।
    महत्व
    कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था और यह घटना जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

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