エピソード

  • भारत चीन का सफर: इतिहास से लेकर अब तक (भाग -1)
    2020/09/06

    भारत और चीन। दो ऐसे देश, जिनकी सीमाएं ऐसे मिली हुई हैं कि मन कभी नहीं मिल पाए। दोनों देशों के बीच रिश्तों की ऐसी रेखा है जिसका एक सिरा साझेदारी है तो दूसरा सिरा युद्ध का आगाज।

    आप सुन रहे है 'Unbound Script'और हम जानेंगे इस सीरीज में इन्हीं रिश्तों के बनते बिगड़ते इतिहास और ताजा टकराव की वजहें।

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    6 分
  • भारत नेपाल के किस्से (भाग - 1)
    2020/09/06

    भुवन सिंह, उम्र 12 वर्ष। चुलबुला, शरारती भुवन अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के ‘बनबासा’ नाम के एक छोटे से शहर में रहता है। भुवन का यह शहर भारत-नेपाल का बॉर्डर है और इन दोनों करीबी देशों को एक-दूसरे से जोड़ता है।

    वैसे भुवन की बात करे तो वह आधा भारतीय और आधा नेपाली है। भुवन के दादा उत्तरकाशी के हैं तो दादी काठमांडू की और तो और भुवन की मम्मी भी खुद नेपाल से हैं।

    भारत में कई वर्षों से नेपाली मिल-जुल कर रह रहे हैं। भारतीय और नेपालियों की शादी कोई बड़ी बात नहीं है। भुवन के दादा और अब पापा दोनों ही आर्मी में हैं इसलिए उसको हमेशा कोई न कोई किस्से ज़रूर सुनने को मिल जाते थे। कभी पाकिस्तान तो कभी चीन। लेकिन पहली दफ़ा भुवन को नेपाल के बारे में पूछना था।

    “दादाजी, नेपाल और इंडिया तो हमेशा से दोस्त थे न?”

    “हां बेटा”– दादाजी ने जवाब दिया।

    “लेकिन अभी लड़ाई क्यों कर रहे हैं? मैंने न्यूज़ में देखा और  बाहर बाज़ार में भी एक जगह सुना कि कुछ दिक्कतें हो गई हैं। आप बताइए न ये क्यों हो रहा है?”

    ...........

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    5 分
  • बलिहारी गुरु आपने गोविंद दिया सिखाए (Teacher's Day )
    2020/09/06

    जीवन में हम बहुत से शिक्षकों से मिलते हैं। बहुत से शिक्षक हमें स्कूल में पढ़ाते हैं जिनको देखकर हम सब सपने देखना सीखते हैं तो बहुत से शिक्षक हमें जीवन को देखने समझने का नज़रिया देते हैं। सुधा के पास भी एक ऐसी ही टीचर है अब जब स्कूल बंद है तो टीचर्स डे कैसे मनाए? इसको लेकर उसके मन मे सवाल है और उसे दुःख हो रहा है। पर टीचर्स डे कैसे मनाए? उसकी मैम को सब मालूम है कैसे रास्ता निकालना है तो आइए जानते हैं कैसा रहा सुधा का टीचर्स डे।

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    9 分
  • भारत चीन का सफर- इतिहास से लेकर अब तक (भाग 1 से भाग 4 तक )
    2020/09/06

    भारत और चीन। दो ऐसे देश, जिनकी सीमाएं ऐसे मिली हुई हैं कि मन कभी नहीं मिल पाए। दोनों देशों के बीच रिश्तों की ऐसी रेखा है जिसका एक सिरा साझेदारी है तो दूसरा सिरा युद्ध का आगाज।

    आप सुन रहे है 'Unbound Script'और हम जानेंगे इस सीरीज में इन्हीं रिश्तों के बनते बिगड़ते इतिहास और ताजा टकराव की वजहें।

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    27 分
  • भारत चीन का सफर: इतिहास से लेकर अब तक (भाग - 4)
    2020/09/06
    6 分
  • Mental Health for Children
    2020/09/06

    आकाश मिश्रा लखनऊ में रहने वाला एक 15 साल का मेधावी छात्र था। हर साल क्लास में अव्वल आने वाले आकाश को इस साल 10वीं बोर्ड की परीक्षा देनी थी। दिन-रात मेहनत करने वाले आकाश से उसके माता-पिता ख़ुश रहते थे। स्कूल में भी टीचर्स और स्टूडेंट्स उसकी वाहवाही करते नहीं थकते थे। इस साल प्री-बोर्ड में भी आकाश ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन न जाने क्यों उस एग्ज़ाम के बाद से ही आकाश में कुछ परिवर्तन दिखाई देने लगे थे। आकाश कभी गुमसुम रहता तो कभी एकदम नॉर्मल, एकदम ख़ुश। आकाश को दरसअल समझ नहीं आ रहा था कि दोस्त तो उसके बहुत से हैं लेकिन तब भी उसे कभी-कभी अकेलापन क्यों महसूस होता है? आजकल सुबह उठने का मन भी नहीं करता और दिनभर बिस्तर में पड़े रहने को जी चाहता है। दरसअल इतने सालों में आकाश में कॉम्पटिशन कि भावना काफी बढ़ गई थी। उसे बस हमेशा फर्स्ट आना था, कम नंबर लाना वह सहन ही नहीं कर पाता था और इस साल बोर्ड परीक्षा के रिज़ल्ट की टेंशन भी उसे सता रही थी। मन ही मन वह डरता था कि कि मेरे नंबर कम आने से पापा-मम्मी, मेरे टीचर्स या मेरे दोस्त मुझसे बात करना बंद करना पसंद कर देंगे, मुझसे प्यार करना छोड़ देंगे। बस ऐसी ही कुछ-कुछ बातें हर टाइम उसके दिमाग में घूमती रहती और वह अकेले में रोता रहता।

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    10 分
  • जेंडर: रंगों से भरी दुनिया | LQTBQ Community | 2 Episodes
    2020/09/06

    चलिए आज शुरूआत एक सवाल से करते हैं। अगर मैं पूछूं कि जेंडर कितने होते हैं, तो आपका जवाब क्या होगा? नॉर्मली मेल और फीमेल। लेकिन असल में यह जेंडर का बहुत सीमित दायरा है। अब मैं आपसे कहूं कि कोई फॉर्म भरते समय या कहीं अपने बारे में जानकारियों को लिखते समय जेंडर वाले खाने में आपको कितने ऑप्शन दिए जाते हैं। अब आपका जवाब होगा मेल, फीमेल और अदर्स।

    आप सुन रहे हैं Unbound Script और आज हम इसी अदर्स में डाल दिए जाने वाले जेंडर्स पर चर्चा करेंगे। जो असल में सिर्फ अदर्स नहीं हैं, बल्कि हमारे और आपकी ही तरह उनकी भी एक पहचान है।

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    11 分
  • LGBTQ Community: क्यों रेनबो झंडा खास है और प्राइड परेड ज़रूरी
    2020/09/06

    Intro: साल 2018 का सितंबर महीना। 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया। फैसला यह कि अब से समलैंगिकता अपराध नहीं है। धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। धारा 377 दरअसल वह कानून था जो समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में गिनता था।

    यह फैसला आते ही LGBTQ Community में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। हर तरफ जश्न मनाया जाने लगा। सड़कों पर लोग इंद्रधनुषी रंगों वाला झंडा ख़ुशी से लहराने लगे। इसी तरह अक्सर हम ‘प्राइड परेड’ का नाम सुनते हैं और इनकी तस्वीरें देखते हैं। उसमें भी यह इंद्रधनुषी झंडा दिखाई देता है। दरअसल इन मौकों पर दिखाई देने वाला यह रेनबो फ्लैग LGBTQ समुदाय की पहचान है। दुनियाभर के समलैंगिक लोग इसी झंडे तले अपनी एकजुटता दिखाते हैं।

    आप सुन रहे हैं Unbound Script और आज हम जानेंगे कि आखिर यह रेनबो जैसा दिखने वाला झंडे का क्या मतलब है? और ये प्राइड परेड क्या होता है?

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    5 分