エピソード

  • #003 द टेक: विदेश में फिर एक नया युद्ध, भारत के लिए ज़रूरी है अंदर झांकना
    2025/06/23

    गल्फ वॉर से लेकर आज के पश्चिम एशिया संकट तक, अमेरिका के नेतृत्व में हुए युद्धों ने दुनिया को झकझोरा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ने इन वैश्विक उथल-पुथल के बीच भी अपनी दिशा नहीं खोई। इस एपिसोड में बताया गया है कि कैसे 1991 की उदारीकरण नीति—जिसका सूत्रपात तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था—भारत को बाहरी संकटों के बावजूद आर्थिक रूप से मजबूत करती रही। चाहे वह 9/11 के बाद अफगान युद्ध हो, 2003 का इराक़ पर हमला, 2008 की वैश्विक मंदी या कोविड-19 जैसी महामारियां—भारत ने अपनी नीतियों, उद्यमशीलता और घरेलू मांग के बल पर स्थिरता बनाए रखी।

    अब, जब अमेरिका और ईरान के बीच टकराव फिर से तेज़ हो रहा है और पश्चिम एशिया एक बार फिर अशांत हो सकता है, भारत के सामने दोहरी चुनौती है—बाहरी संकटों का प्रबंधन और घरेलू सुधारों की गति को बरकरार रखना। इस समय को अवसर की खिड़की मानते हुए, हमें अभी भी कई क्षेत्रों को खोलने, नीतिगत बाधाओं को हटाने और कारोबारी माहौल को सरल बनाने की ज़रूरत है।


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  • #002 केबल टीवी की डिजिटल उलटफेर: जुगाड़ू इंडस्ट्री के पतन की कहानी
    2025/06/12

    भारत के ज़्यादातर शहरों और कस्बों की तरह, मुंबई की इमारतों के ऊपर उलझी हुई काली केबलें और बेतरतीब डिश एंटीना सिर्फ एक तकनीकी जुड़ाव नहीं थे, बल्कि एक संपूर्ण 'जुगाड़ आधारित' इंडस्ट्री के प्रतीक थे — केबल टीवी इंडस्ट्री, जिसने देशभर में घर-घर मनोरंजन पहुंचाया। लेकिन अब यह इंडस्ट्री एक तीव्र डिजिटल बदलाव की चपेट में है।

    इस एपिसोड में हम जानेंगे कि कैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म, स्मार्ट टीवी और डीडी फ्रीडिश जैसे विकल्पों की बढ़ती लोकप्रियता ने पे-टीवी ग्राहकों की संख्या और नौकरियों — दोनों में गिरावट ला दी है। Ernst & Young की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात वर्षों में इंडस्ट्री ने न सिर्फ करोड़ों की कमाई गंवाई है, बल्कि 5 लाख से ज़्यादा नौकरियाँ भी खत्म हो गई हैं।

    यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं है, यह हमारे उपभोग के तरीके, उपभोक्ता की प्राथमिकताओं और इंडस्ट्री में पारंपरिक जुगाड़ बनाम डिजिटल दक्षता के संघर्ष की कहानी है। यह उन विरासती उद्योगों के लिए चेतावनी भी है, जो अब तक बदलाव के संकेतों को नज़रअंदाज़ करते आए हैं।

    आज जब अधिकतर उपभोक्ता फाइबर ब्रॉडबैंड या मोबाइल डेटा पर निर्भर हो रहे हैं, और जब टाटा, एयरटेल और जिओ जैसे बड़े टेलिकॉम खिलाड़ी अपार्टमेंट-स्तर की कनेक्टिविटी संभाल रहे हैं, तब पुराने केबल ऑपरेटरों को नई तकनीक सीखनी होगी, डिजिटल रूप से सशक्त बनना होगा और एक पूरी तरह बदली हुई दुनिया में खुद को ढालना होगा।


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  • #001 टेस्ला, मस्क और ट्रंप: जब राजनीति और कारोबार की लाइन धुंधली हो जाए
    2025/06/09

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के बीच हालिया सार्वजनिक टकराव ने वैश्विक व्यापार और राजनीति के आपसी संबंधों को उजागर किया है। भारत ने मस्क और टेस्ला को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास किए, लेकिन नतीजा सिर्फ कुछ शोरूम और स्टोरेज यार्ड तक सीमित रहा। इस बीच, मस्क के ट्रंप से करीबी रिश्ते और स्पेसX को लेकर अमेरिकी सरकारी संस्थाओं की चिंता ने दिखा दिया कि जब राजनीति, कारोबारी हित और व्यक्तिगत समीकरण मिलते हैं, तो नीतिगत फैसले किस तरह प्रभावित हो सकते हैं। भारत के लिए सबक साफ है — किसी एक कारोबारी पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना या उसे कूटनीतिक पुल के रूप में इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब वह कारोबारी खुद राजनीतिक अस्थिरता का हिस्सा बन जाए।


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