• वल्लभाचार्य: शुद्ध अद्वैत दर्शन और पुष्टि भक्ति के प्रणेता
    2025/10/11

    इस सप्ताह के संत चरित्रावली पॉडकास्ट में प्रस्तुत है—

    शुद्ध अद्वैत दर्शन के प्रवर्तक और पुष्टिभक्ति मार्ग के संस्थापक, आचार्य वल्लभ।


    चंपारण में जन्मे, अद्वितीय विद्वान वल्लभाचार्य ने उस भक्ति का मार्ग दिखाया,

    जो ज्ञान और प्रेम के संगम से ईश्वर की अनुभूति कराती है।

    उन्होंने कहा — “ईश्वर और जीव में कोई भेद नहीं, जब तक भक्ति शुद्ध और समर्पित है।”


    इस एपिसोड में जानिए —

    🔹 वल्लभाचार्य का जीवन और उनकी यात्राएँ

    🔹 पुष्टिमार्ग और शुद्ध अद्वैत दर्शन की विशेषताएँ

    🔹 भक्तियोग की आधुनिक व्याख्या

    ✨ विशेष सूचना: अब संत चरित्रावली पॉडकास्ट प्रत्येक रविवार को एक नया एपिसोड लेकर आएगा।


    🎙️ सुनिए और आत्मा को संतों के ज्ञान से आलोकित कीजिए।

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    20 分
  • संत चरित्रावली | मध्वाचार्य: द्वैत दर्शन के दिव्य प्रवर्तक
    2025/10/05

    इस एपिसोड में हम प्रस्तुत कर रहे हैं —
    आनंदतीर्थ श्री मध्वाचार्य का प्रेरक जीवन, जो द्वैत दर्शन के महान प्रवर्तक और भक्ति, ज्ञान व वैराग्य के प्रतीक माने जाते हैं।

    दक्षिण भारत के उडुपि से प्रारंभ हुई उनकी साधना यात्रा ने समूचे भारत में वेदांत की नई व्याख्या दी —
    जहाँ भगवान विष्णु को सर्वोच्च तत्त्व माना गया, और जीवन को भक्ति के माध्यम से परम सत्य तक पहुँचने का सेतु बताया गया।

    उनका जीवन दर्शाता है कि ईश्वर-स्मरण, आत्मसंयम और समर्पण ही सच्चे वैदिक जीवन के आधार हैं।
    जानिए, कैसे मध्वाचार्य ने अद्वैत और विशिष्टाद्वैत के बीच नव वैष्णव मत – सद्वैष्णव दर्शन की स्थापना की,
    और अपने चमत्कारी जीवन से जन-जन में भक्ति का दीप प्रज्वलित किया।

    🎧 सुनिए “संत चरित्रावली” का यह विशेष अंक —
    जहाँ भक्ति, दर्शन और चमत्कार का संगम है —
    श्री मध्वाचार्य की अमर कथा।

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    20 分
  • रामानुजाचार्य: विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रचारक और समाज सुधारक | Sant Charitavali Ep. 15
    2025/09/27

    संत चरित्रावली पॉडकास्ट के इस 15वें एपिसोड में हम श्रवण करेंगे महान दार्शनिक और समाज सुधारक श्री रामानुजाचार्य की अद्भुत जीवन गाथा।

    रामानुजाचार्य केवल एक आचार्य ही नहीं थे, बल्कि समाज में समानता, भक्ति और करुणा का दीप जलाने वाले महान संत भी थे।
    उनके जीवन की मुख्य झलकियाँ इस एपिसोड में:

    • जन्म और प्रारंभिक जीवन

    • गुरु यादवप्रकाश के साथ संघर्ष

    • गृहस्थ जीवन त्यागकर संन्यास

    • यामुनाचार्य की परंपरा के उत्तराधिकारी

    • विशिष्टाद्वैत दर्शन का प्रचार-प्रसार

    • श्रीभाष्य और अन्य ग्रंथों की रचना

    • शैव राजा कुलोतुंग प्रथम के उत्पीड़न से निर्वासन

    • दलित वर्ग को मंदिर प्रवेश की अनुमति

    • भगवान नारायण के प्रति पूर्ण समर्पण का उपदेश

    उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है:
    👉 "मोक्ष केवल ज्ञान से नहीं, बल्कि भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण से ही संभव है।"

    🎧 पूरा एपिसोड सुनें और जानें कैसे रामानुजाचार्य ने धर्म और समाज दोनों को नई दिशा दी।

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    19 分
  • आदि शंकराचार्य – अद्वैत वेदांत के प्रणेता
    2025/09/22

    इस एपिसोड में हम श्रवण करेंगे आदि शंकराचार्य के जीवन और उनकी शिक्षाओं का विस्तृत विवरण।
    आदि शंकराचार्य का जन्म 8वीं शताब्दी में केरल के कालडी गाँव में हुआ। बाल्यावस्था से ही वे अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे और कम उम्र में ही संन्यास लेने का निर्णय लिया। उन्होंने भारत भर में दिग्विजय अभियान चलाया और शास्त्रार्थों के माध्यम से अद्वैत वेदांत की स्थापना की।

    उनकी बहसें, विशेषकर मण्डन मिश्र और भारती के साथ, आज भी भारतीय दार्शनिक इतिहास के अमूल्य अध्याय माने जाते हैं। शंकराचार्य ने उपनिषदों, गीता और ब्रह्मसूत्र पर गहन भाष्य लिखकर अद्वैत सिद्धांत को स्पष्ट किया—
    “ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः”

    भारत के चारों कोनों में उन्होंने चार मठों की स्थापना की और दशनामी संन्यासी परंपरा की नींव रखी।
    यद्यपि उनका जीवन केवल 32 वर्षों का था, लेकिन उनके विचार और संस्थाएँ आज भी भारतीय संस्कृति और दर्शन को दिशा दे रही हैं।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे:

    • उनका जन्म और संन्यास का निर्णय

    • दिग्विजय अभियान और शास्त्रार्थ

    • अद्वैत दर्शन और ब्रह्मसूत्र-भाष्य

    • चार मठों की स्थापना और दशनामी संन्यासी परंपरा

    • भारत की आध्यात्मिक एकता में उनका योगदान

    आदि शंकराचार्य का जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मज्ञान और सत्य की खोज ही मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।

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    19 分
  • गुरु नानक देव: मानवता और भक्ति के प्रेरक स्तंभ
    2025/09/17

    इस एपिसोड में हम सिख धर्म के संस्थापक और महान संत गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का विस्तृत परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। गुरु नानक का जीवन केवल एक संत की कथा नहीं, बल्कि प्रेम, समानता, और सत्य के संदेश का ऐसा अद्वितीय प्रवाह है जिसने सदियों तक समाज को दिशा दी है।

    एपिसोड का सारांश:
    गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब भारत सामाजिक अन्याय, धार्मिक संघर्ष और जातिगत भेदभाव से जकड़ा हुआ था। बचपन से ही वे ईश्वर-भक्ति और आध्यात्मिक चिंतन में रमे रहते। सांसारिक व्यवसायों और वैभव में उनकी कोई रुचि नहीं थी; वे सदैव हरि-नाम और ध्यान में लीन रहते।

    उन्होंने जीवन भर अनेक यात्राएँ कीं, जिन्हें "उदासियाँ" कहा जाता है। इन यात्राओं में वे भारत, तिब्बत, अफगानिस्तान, अरब और फारस तक पहुँचे। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने हिंदू, मुसलमान, बौद्ध, और जैन विद्वानों से संवाद किया और अपने सार्वभौमिक संदेश को फैलाया—"एक ओंकार" (ईश्वर एक है)।

    गुरु नानक देव जी के चमत्कार और शिक्षाएँ उनकी असाधारण आध्यात्मिक शक्ति और दिव्य व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। वे मानते थे कि हरि-नाम-स्मरण, मानवता की सेवा, नैतिक आचरण और जातिगत-धार्मिक भेदभाव का अंत ही सच्चा धर्म है।

    उनका संदेश केवल धार्मिक शिक्षा नहीं था, बल्कि सामाजिक क्रांति का स्वरूप भी था। उन्होंने शोषण और विभाजन की जगह प्रेम और समानता पर आधारित समाज की नींव रखी।

    गुरु नानक देव जी के उपदेश आगे चलकर गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित किए गए, जो आज भी सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ और जीवन का मार्गदर्शक है। अपने अंतिम दिनों तक वे सेवा, भक्ति और प्रेम का संदेश देते रहे और अंततः मानवता के लिए अमर प्रेरणा बनकर इस संसार से विदा हुए।

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    24 分
  • कन्फ्यूशियस: चीनी संस्कृति के जनक और दार्शनिक
    2025/09/13

    इस एपिसोड में हम प्रस्तुत कर रहे हैं कन्फ्यूशियस का जीवन और उनके गहन विचार, जिन्होंने न केवल चीन बल्कि पूरी दुनिया की नैतिक और राजनीतिक सोच को गहराई से प्रभावित किया। कन्फ्यूशियस को चीनी संस्कृति का जनक माना जाता है। उनके जीवन की यात्रा, शिक्षाएँ और समाज सुधारक की भूमिका आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं।

    एपिसोड का सारांश:
    कन्फ्यूशियस का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था। वे साधारण परिवार से थे, किन्तु बचपन से ही उनमें अध्ययन, चिंतन और ज्ञान के प्रति गहरी रुचि दिखाई देती थी। युवावस्था में उन्होंने लाओत्से और अन्य समकालीन दार्शनिकों से विचारों का आदान-प्रदान किया, जिससे उनकी दार्शनिक दृष्टि और भी व्यापक हो गई।

    उनके विचारों का मुख्य आधार था—मानवीय नैतिकता, सामाजिक सद्भाव और आदर्श व्यक्ति का निर्माण। कन्फ्यूशियस ने धर्म की तुलना में नैतिक और राजनीतिक व्यवस्था पर अधिक बल दिया। वे मानते थे कि यदि व्यक्ति स्वयं को अनुशासित कर ले और सद्गुणों को अपनाए, तो समाज और राज्य स्वतः संतुलित और समृद्ध हो जाएंगे।

    उनकी प्रमुख कृति "द एनालेक्ट्स" (The Analects) उनके संवादों और सूक्तियों का संग्रह है, जिसमें जीवन, कर्तव्य, और शासन के विषय पर गहन विचार प्रस्तुत किए गए हैं।

    कन्फ्यूशियस की शिक्षा का केंद्रीय बिंदु था—आदर्श व्यक्ति (The Superior Man या "जुनज़ी"), जो सत्यनिष्ठा, करुणा, अनुशासन और जिम्मेदारी जैसे गुणों से संपन्न हो।

    आज भी उनकी विचारधारा Confucianism केवल एक दार्शनिक प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला के रूप में जानी जाती है। यह व्यक्ति को आत्म-विकास और समाज को सामूहिक उत्थान की ओर प्रेरित करती है।

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    20 分
  • महावीर: तपस्या, सुधार और मोक्षमार्ग
    2025/09/10

    भगवान महावीर का जन्म एक समृद्ध और राजसी परिवार में हुआ, लेकिन बचपन से ही उनमें आध्यात्मिक जिज्ञासा और वैराग्य का भाव विद्यमान था। सांसारिक जीवन की क्षणभंगुरता को समझते हुए उन्होंने युवावस्था में ही गृह-त्याग कर कठोर तपस्या का मार्ग अपनाया।

    उन्होंने अनेक वर्षों तक गहन साधना की और अंततः केवलज्ञान (सर्वज्ञता) प्राप्त की। इस ज्ञान के बल पर उन्होंने संसार को अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य जैसे पंच महाव्रतों की शिक्षा दी।

    महावीर को अक्सर जैन धर्म का संस्थापक कहा जाता है, किंतु वास्तव में वे इसके सुधारक और पुनःसंरक्षक थे। उन्होंने प्राचीन सिद्धांतों को न केवल स्पष्ट किया बल्कि उन्हें अधिक व्यवस्थित और व्यापक रूप दिया।

    उनकी शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य था—मनुष्य को बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाना। इसके लिए उन्होंने "बारह अनुप्रेक्षाओं" (जीवन और मृत्यु, संसार की असारता, कर्मों के बंधन आदि पर चिंतन) की साधना का मार्ग बताया।

    अंत में, महावीर ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी त्याग और समता की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत की और पावापुरी में निर्वाण को प्राप्त हुए। उनका जीवन आज भी आत्मसंयम, करुणा और सत्य की खोज का प्रेरक प्रकाशस्तंभ है।

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    17 分
  • संत गुरु घासीदास जी: सत्य, अहिंसा और समानता के प्रेरणास्रोत
    2025/08/28

    इस एपिसोड में हम छत्तीसगढ़ के महान संत और समाज सुधारक संत गुरु घासीदास के जीवन और उनकी शिक्षाओं की चर्चा करेंगे। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर उन्होंने समाज को सत्य, अहिंसा और समानता का संदेश दिया। 'सतनाम' का दर्शन हो, जातिगत भेदभाव का विरोध हो या नशा-मुक्ति का अभियान – उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यह एपिसोड आपको उनके जीवन की प्रेरणादायी यात्रा से परिचित कराएगा।

    हैशटैग्स:
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    16 分