
भाग-2- गीता के 18 योग: अध्यात्मिक प्रबोधन और जीवन दर्शन
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होस्ट: रमेश चौहान — शिक्षक, आध्यात्मिक विचारक और लेखक
इस भाग में हम ''अध्यात्मिक प्रबोधन:गीता के 18 योग'' के प्रस्तावना खण्ड का विश्लेषण कर रहे हैं, जो संपूर्ण ग्रंथ के लिये एक नींव का निर्माण करेगा । यह आने वाली कड़ियों को समझने के लिये एक सेतु का कार्य करेगा । संपूर्ण गीता का सांस्कृतिक, अध्यात्मिक महत्व के अतिरिक्त आधुनिक जीवन में इसकी सार्थकता और उपयोगिता पर ध्यान केन्द्रित करना और लोगों तक इसकी सार्थकता पहुँचना ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है ।
यदि आप जीवन में स्थिरता, आत्मबल और गहराई से जीने का मार्ग खोज रहे हैं—तो यह श्रृंखला आपके लिए है।
इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह पढ़ सकते हैं- https://amzn.in/d/gAaWKzP
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