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ज़फ़र इक़बाल ॰ Zafar Iqbal ॰ 5 ग़ज़लें

ज़फ़र इक़बाल ॰ Zafar Iqbal ॰ 5 ग़ज़लें

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このコンテンツについて

ग़ालिबन पॉडकास्ट की ग़ज़ल श्रृंखला में आपका स्वागत है। ग़ालिबन का मतलब होता है 'शायद' या 'संभवतः'। ये शब्द होने की संभावना को हमारे समक्ष रखता है और ये शब्द मुझे इसलिए भी अज़ीज़ है क्योंकि इसमें एक अज़ीम का शायर नाम आता है। अक्सर, पढ़े लिखे लोग भी इसके अर्थ में धोका खा जाते हैं, हालांकि, ये एक आम शब्द है, और अदबी दुनिया में इसका इस्तेमाल बहुत आम है।

ग़ज़ल की शुरुआत कहाँ से होती है, इस बहस से परे रहकर, मैं आपको ग़ज़ल की एक बुनियादी शकल इन शायरों के जरिये दिखा या सुना रहा हूँ। इन शायरों का इंतिख़ाब मेरा नीजी फ़ैसला है। मेरी उम्मीद है कि आपको ये फ़ेहरिस्त पसंद आएगी।

एहसान दानिश / Ehsan Danish

खुमार बाराबंकवी / Khumar Barabankvi

ज़फ़र इक़बाल / Zafar Iqbal

मंज़र भोपली / Manzar Bhopali

परवीन शाकिर / Parveen Shakir

कृष्ण बिहारी नूर / Krishna Bihari Noor

फ़हमी बदायूँनी / Fehmi Badayuni

पीरज़ादा क़ासिम / Peerzada Qasim

शहरयार / Shaharyar

मीना कुमारी / Meena Kumari


आवाज़ - प्रखर गर्ग

चित्र - चेतन टोके, कला ग्राफ़िक्स

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