
गुरु नानक देव: मानवता और भक्ति के प्रेरक स्तंभ
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このコンテンツについて
इस एपिसोड में हम सिख धर्म के संस्थापक और महान संत गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का विस्तृत परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। गुरु नानक का जीवन केवल एक संत की कथा नहीं, बल्कि प्रेम, समानता, और सत्य के संदेश का ऐसा अद्वितीय प्रवाह है जिसने सदियों तक समाज को दिशा दी है।
एपिसोड का सारांश:
गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब भारत सामाजिक अन्याय, धार्मिक संघर्ष और जातिगत भेदभाव से जकड़ा हुआ था। बचपन से ही वे ईश्वर-भक्ति और आध्यात्मिक चिंतन में रमे रहते। सांसारिक व्यवसायों और वैभव में उनकी कोई रुचि नहीं थी; वे सदैव हरि-नाम और ध्यान में लीन रहते।
उन्होंने जीवन भर अनेक यात्राएँ कीं, जिन्हें "उदासियाँ" कहा जाता है। इन यात्राओं में वे भारत, तिब्बत, अफगानिस्तान, अरब और फारस तक पहुँचे। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने हिंदू, मुसलमान, बौद्ध, और जैन विद्वानों से संवाद किया और अपने सार्वभौमिक संदेश को फैलाया—"एक ओंकार" (ईश्वर एक है)।
गुरु नानक देव जी के चमत्कार और शिक्षाएँ उनकी असाधारण आध्यात्मिक शक्ति और दिव्य व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। वे मानते थे कि हरि-नाम-स्मरण, मानवता की सेवा, नैतिक आचरण और जातिगत-धार्मिक भेदभाव का अंत ही सच्चा धर्म है।
उनका संदेश केवल धार्मिक शिक्षा नहीं था, बल्कि सामाजिक क्रांति का स्वरूप भी था। उन्होंने शोषण और विभाजन की जगह प्रेम और समानता पर आधारित समाज की नींव रखी।
गुरु नानक देव जी के उपदेश आगे चलकर गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित किए गए, जो आज भी सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ और जीवन का मार्गदर्शक है। अपने अंतिम दिनों तक वे सेवा, भक्ति और प्रेम का संदेश देते रहे और अंततः मानवता के लिए अमर प्रेरणा बनकर इस संसार से विदा हुए।
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