• भक्तों के प्रकार और उनकी भक्ति
    2025/12/22

    भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण भक्ति को केवल एक भाव नहीं, बल्कि चेतना की परिपक्वता के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

    आज के इस एपिसोड में हम गीता के उस महत्वपूर्ण श्लोक-समूह पर चर्चा करते हैं जहाँ भगवान चार प्रकार के भक्तों का वर्णन करते हैं—
    आर्त (संकटग्रस्त), जिज्ञासु (सत्य की खोज में), अर्थार्थी (सांसारिक लाभ चाहने वाले) और ज्ञानी (तत्त्वदर्शी भक्त)।

    यह चर्चा स्पष्ट करती है कि ईश्वर किसी भौतिक वस्तु से नहीं, बल्कि भक्त के भाव, प्रेम और निस्वार्थ समर्पण से प्रसन्न होते हैं।

    एपिसोड में यह भी समझाया गया है कि कैसे प्रारंभिक भक्ति—जो आवश्यकता या जिज्ञासा से शुरू होती है—
    धीरे-धीरे निष्काम और ज्ञानी भक्ति में परिवर्तित हो सकती है, और वही भक्ति अंततः मनुष्य को
    सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाती है।

    यह एपिसोड उन सभी श्रोताओं के लिए है जो यह समझना चाहते हैं कि उनकी भक्ति किस स्तर पर है और वे उसे कैसे शुद्ध, गहन और मुक्तिदायी बना सकते हैं।

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    16 分
  • भक्ति और कर्म का गूढ़ संबंध
    2025/12/15

    गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा के इस विशेष एपिसोड में हम

    भगवद्गीता के राजविद्याराजगुह्ययोग से उस दिव्य रहस्य को समझते हैं

    जो कर्म, भक्ति और मोक्ष को एक सूत्र में बाँध देता है।

    इस चर्चा का केंद्रीय विषय है—

    👉 भक्ति और कर्म का गूढ़ संबंध।

    भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को स्पष्ट करते हैं कि

    कर्म अपने आप में बंधन नहीं है,

    बंधन तब बनता है जब कर्म फल की आसक्ति से किया जाए।

    जब वही कर्म भक्ति और समर्पण से ईश्वर को अर्पित हो जाता है,

    तो वह यज्ञ बन जाता है और मोक्ष का मार्ग खोल देता है।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    • कर्म को पवित्र क्या बनाता है

    • ज्ञानी और अज्ञानी के कर्म में वास्तविक अंतर क्या है

    • यज्ञ का अर्थ केवल अग्निहोत्र क्यों नहीं है

    • “यत्करोषि यदश्नासि…” श्लोक का जीवन-व्यापी अर्थ

    • मोक्ष का मार्ग कर्म छोड़ने में नहीं,

    बल्कि कर्म को ईश्वर को समर्पित करने में क्यों है

    यह एपिसोड हमें सिखाता है कि

    साधारण जीवन भी साधना बन सकता है,

    यदि कर्म भक्ति से जुड़ जाए।

    🎙️ यह चर्चा आधारित है पुस्तक श्रृंखला

    “अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग”

    के राजविद्याराजगुह्ययोग खंड पर।

    📅 प्रसारण: हर मंगलवार

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    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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    17 分
  • सर्वव्यापी ईश्वर और माया का रहस्य
    2025/12/09

    भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि ईश्वर इस समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हैं, हर जीव, हर शक्ति और हर प्रक्रिया में उपस्थित हैं—

    फिर भी वे संसार के सभी कर्मों से पूर्णतः असंग रहते हैं।


    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    • ईश्वर सृष्टि के कण-कण में बसकर भी कैसे साक्षी-भाव में रहते हैं

    • माया का आवरण मनुष्य को सत्य से दूर कैसे ले जाता है

    • क्यों लोग ईश्वर को एक सामान्य मानव समझ लेते हैं

    • माया से ऊपर उठकर ईश्वर को कैसे अनुभव किया जाए

    • और कैसे यह ज्ञान मोक्ष और आंतरिक स्वतंत्रता का मार्ग खोलता है


    यह एपिसोड आपको गीता के उस गूढ़ सत्य से अवगत कराता है जो जीवन, संसार और परमात्मा को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देता है।

    प्रसारण—हर मंगलवार


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    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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    16 分
  • राजविद्या–राजगुह्ययोग का परिचय
    2025/12/01

    “गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा” के इस मंगलवार प्रसारण में हम आरंभ कर रहे हैं एक नया खंड— राजविद्या–राजगुह्ययोग, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने सब ज्ञानों का राजा और सभी रहस्यों का परम रहस्य कहा है।


    इस एपिसोड में आप जानेंगे:

    ✨ क्यों यह ज्ञान जीवन के सभी भ्रम और दुःख मिटा देता है

    ✨ ‘राजविद्या’ (परम ज्ञान) और ‘राजगुह्य’ (परम रहस्य) का वास्तविक अर्थ

    ✨ ईश्वर की सर्वव्यापकता और उनकी असंगता का गहरा रहस्य

    ✨ अनन्य भक्ति और श्रद्धा क्यों परम-ज्ञान का द्वार खोलती है

    ✨ योगक्षेम— वह दिव्य वचन जिसके अनुसार भगवान स्वयं भक्तों की रक्षा करते हैं


    यह एपिसोड आध्यात्मिक साधकों को उस मार्ग की ओर ले जाता है जहाँ ज्ञान, भक्ति और अनुभव एक साथ मिलकर मोक्ष का द्वार खोलते हैं।


    📌 महत्वपूर्ण सूचना: यह शो अब प्रत्येक मंगलवार को ही प्रसारित होता है।

    📌 अगले सप्ताह: “राजविद्या का विज्ञान: ईश्वर को जानने का वास्तविक मार्ग”

    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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    16 分
  • अक्षरब्रह्मयोग की अंतिम कड़ी: आधुनिक जीवन में ब्रह्म, अध्यात्म और मोक्ष।
    2025/11/24

    “गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा” के इस मंगलवार के एपिसोड में हम लेकर आए हैं—

    अक्षरब्रह्मयोग की अंतिम कड़ी: आधुनिक जीवन में ब्रह्म, अध्यात्म और मोक्ष


    यह एपिसोड बताता है कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण द्वारा समझाया गया अक्षरब्रह्म—जो शाश्वत, अविनाशी और सर्वव्यापक है—आज की भाग-दौड़ भरी दुनिया में भी हमारी जीवन-यात्रा को दिशा देता है।


    हम जानेंगे:

    ✨ ब्रह्म का ज्ञान आधुनिक जीवन में क्यों आवश्यक है

    ✨ कैसे अध्यात्म और कर्म का संतुलन व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है

    ✨ एक प्रेरक लघुकथा—जो दिखाती है कि व्यवसाय, परिवार और समाज में रहकर भी व्यक्ति ईश्वर का अनुभव कर सकता है


    यह अक्षरब्रह्मयोग की अंतिम कड़ी है। अगले मंगलवार से हम प्रारंभ करेंगे—

    ✨ राजविद्याराजगुह्ययोग ✨


    यदि आप जीवन में शांति, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति की खोज में हैं,

    तो यह एपिसोड आपके लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बन सकता है।

    पूर्ण एपिसोड सुनें और आत्मिक यात्रा को आगे बढ़ाएँ।

    जय श्रीकृष्ण। 🙏


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    17 分
  • अक्षरब्रह्मयोग: समाज, सेवा और मोक्ष का समन्वय
    2025/11/17

    “गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा” के इस मंगलवार के एपिसोड में हम चर्चा कर रहे हैं —

    अक्षरब्रह्मयोग के उस गहरे संदेश की, जो बताता है कि

    व्यक्तिगत मुक्ति (मोक्ष) और सामाजिक कर्तव्य (सेवा) वास्तव में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।


    भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि

    सच्चा योगी वही है जो सभी प्राणियों में ब्रह्म को देखता है

    और सबके प्रति समान दृष्टि रखता है।

    इस एपिसोड में शामिल हैं:

    ब्रह्म का सामाजिक और आध्यात्मिक स्वरूप

    सेवा को भक्ति का सर्वोच्च रूप मानने की व्याख्या

    एक प्रेरक कथा: समाज सेवा के माध्यम से मुक्ति की अनुभूति


    और यह संदेश — कि भक्ति, ज्ञान और सेवा मिलकर ही मोक्ष का मार्ग बनाते हैं।


    🎧 सुनिए और अनुभव कीजिए — गीता का सार, आधुनिक जीवन की भाषा में।

    📅 नया एपिसोड हर मंगलवार।



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    14 分
  • अक्षरब्रह्मयोग: दैनंदिन जीवन में शाश्वत भक्ति
    2025/11/10

    इस सप्ताह के मंगलवार प्रसारण में, “गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा” पॉडकास्ट के इस नए एपिसोड में हम प्रवेश कर रहे हैं—

    अक्षरब्रह्मयोग (Chapter 8 – गीता का अविनाशी रहस्य)

    इस एपिसोड में हम समझेंगे:

    ब्रह्म क्या है? — वह अविनाशी चेतना जो सबमें विद्यमान है।

    क्यों भक्ति केवल मंदिर में नहीं, दैनिक जीवन के हर कर्म में अनुभव की जा सकती है?

    श्रीकृष्ण अर्जुन को कैसे सिखाते हैं कि निष्काम कर्म ही भक्ति है?

    एक सशक्त प्रेरक कथा: क्या ईश्वर स्मरण केवल बुढ़ापे का विषय है?

    इस एपिसोड का मुख्य संदेश:

    “भक्ति का समय कभी बाद में नहीं आता — हर क्षण, अभी — भक्ति है।”

    यह एपिसोड उन्हें समर्पित है

    जो संसार में रहते हुए भी शांति, भक्ति और मोक्ष का मार्ग खोज रहे हैं।

    🎧 सुनें और महसूस करें — गीता का ज्ञान, आधुनिक जीवन की भाषा में।

    📅 यह पॉडकास्ट अब हर मंगलवार प्रसारित होता है।

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    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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    19 分
  • जानिए मृत्यु के समय ईश्वर स्मरण का क्या रहस्य है?
    2025/11/03

    “गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा” के इस मंगलवार के अंक में हम एक अत्यंत गूढ़ और जीवनपरिवर्तनकारी विषय पर चर्चा कर रहे हैं — मृत्यु, मोक्ष और ईश्वर स्मरण का रहस्य।


    भगवद गीता के अनुसार, मृत्यु केवल अंत नहीं, बल्कि आत्मा की नई यात्रा की शुरुआत है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि जिस प्रकार का स्मरण व्यक्ति मृत्यु के समय करता है, वही उसकी अगली गति को निर्धारित करता है। इसलिए, जीवनभर ईश्वर का निरंतर ध्यान और स्मरण ही मुक्ति का मार्ग है।


    इस एपिसोड में जानिए —


    मृत्यु के समय ईश्वर स्मरण का आध्यात्मिक अर्थ


    पुनर्जन्म और कर्म का चक्र


    जीवनभर साधना का महत्त्व


    कैसे मन को ईश्वर में स्थिर किया जा सकता है


    यह एपिसोड आपको जीवन और मृत्यु, दोनों के रहस्यों की नई समझ देगा —

    एक ऐसी दृष्टि, जो भय नहीं, बल्कि मुक्ति की अनुभूति कराएगी।


    🕉️ अब यह शो प्रत्येक मंगलवार को प्रसारित होता है — चेतना संवाद द्वारा प्रस्तुत।


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    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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