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गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा

गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा

著者: रमेश चौहान
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このコンテンツについて

"गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा" एक आध्यात्मिक और चिंतनशील पॉडकास्ट श्रृंखला है, जो भगवद्गीता के 18 अध्यायों की गहन व्याख्या पर आधारित है। इस चर्चा का आधार ''अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" श्रृंखला पुस्तक है । यह श्रृंखला उन श्रोताओं के लिए समर्पित है जो जीवन के गूढ़ प्रश्नों — धर्म, कर्म, आत्मा, मोह, और आत्मबोध — के उत्तर खोज रहे हैं। हर एपिसोड आपको एक नए योग अध्याय की ओर ले जाता है, जिसमें गीता के श्लोकों का स्पष्ट, भावनात्मक और शास्त्रीय वाचन किया गया है, साथ ही उनके अर्थ को आज के परिप्रेक्ष्य में सरल भाषा में समझाया गया है । "शब्द नहीं, आत्मा बोलेगी — गीता के योगों से!"रमेश चौहान スピリチュアリティ ヒンズー教
エピソード
  • भक्तों के प्रकार और उनकी भक्ति
    2025/12/22

    भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण भक्ति को केवल एक भाव नहीं, बल्कि चेतना की परिपक्वता के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

    आज के इस एपिसोड में हम गीता के उस महत्वपूर्ण श्लोक-समूह पर चर्चा करते हैं जहाँ भगवान चार प्रकार के भक्तों का वर्णन करते हैं—
    आर्त (संकटग्रस्त), जिज्ञासु (सत्य की खोज में), अर्थार्थी (सांसारिक लाभ चाहने वाले) और ज्ञानी (तत्त्वदर्शी भक्त)।

    यह चर्चा स्पष्ट करती है कि ईश्वर किसी भौतिक वस्तु से नहीं, बल्कि भक्त के भाव, प्रेम और निस्वार्थ समर्पण से प्रसन्न होते हैं।

    एपिसोड में यह भी समझाया गया है कि कैसे प्रारंभिक भक्ति—जो आवश्यकता या जिज्ञासा से शुरू होती है—
    धीरे-धीरे निष्काम और ज्ञानी भक्ति में परिवर्तित हो सकती है, और वही भक्ति अंततः मनुष्य को
    सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाती है।

    यह एपिसोड उन सभी श्रोताओं के लिए है जो यह समझना चाहते हैं कि उनकी भक्ति किस स्तर पर है और वे उसे कैसे शुद्ध, गहन और मुक्तिदायी बना सकते हैं।

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    16 分
  • भक्ति और कर्म का गूढ़ संबंध
    2025/12/15

    गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा के इस विशेष एपिसोड में हम

    भगवद्गीता के राजविद्याराजगुह्ययोग से उस दिव्य रहस्य को समझते हैं

    जो कर्म, भक्ति और मोक्ष को एक सूत्र में बाँध देता है।

    इस चर्चा का केंद्रीय विषय है—

    👉 भक्ति और कर्म का गूढ़ संबंध।

    भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को स्पष्ट करते हैं कि

    कर्म अपने आप में बंधन नहीं है,

    बंधन तब बनता है जब कर्म फल की आसक्ति से किया जाए।

    जब वही कर्म भक्ति और समर्पण से ईश्वर को अर्पित हो जाता है,

    तो वह यज्ञ बन जाता है और मोक्ष का मार्ग खोल देता है।

    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    • कर्म को पवित्र क्या बनाता है

    • ज्ञानी और अज्ञानी के कर्म में वास्तविक अंतर क्या है

    • यज्ञ का अर्थ केवल अग्निहोत्र क्यों नहीं है

    • “यत्करोषि यदश्नासि…” श्लोक का जीवन-व्यापी अर्थ

    • मोक्ष का मार्ग कर्म छोड़ने में नहीं,

    बल्कि कर्म को ईश्वर को समर्पित करने में क्यों है

    यह एपिसोड हमें सिखाता है कि

    साधारण जीवन भी साधना बन सकता है,

    यदि कर्म भक्ति से जुड़ जाए।

    🎙️ यह चर्चा आधारित है पुस्तक श्रृंखला

    “अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग”

    के राजविद्याराजगुह्ययोग खंड पर।

    📅 प्रसारण: हर मंगलवार

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    इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- ⁠"अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)⁠इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-⁠"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"⁠

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    17 分
  • सर्वव्यापी ईश्वर और माया का रहस्य
    2025/12/09

    भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि ईश्वर इस समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हैं, हर जीव, हर शक्ति और हर प्रक्रिया में उपस्थित हैं—

    फिर भी वे संसार के सभी कर्मों से पूर्णतः असंग रहते हैं।


    इस एपिसोड में आप जानेंगे—

    • ईश्वर सृष्टि के कण-कण में बसकर भी कैसे साक्षी-भाव में रहते हैं

    • माया का आवरण मनुष्य को सत्य से दूर कैसे ले जाता है

    • क्यों लोग ईश्वर को एक सामान्य मानव समझ लेते हैं

    • माया से ऊपर उठकर ईश्वर को कैसे अनुभव किया जाए

    • और कैसे यह ज्ञान मोक्ष और आंतरिक स्वतंत्रता का मार्ग खोलता है


    यह एपिसोड आपको गीता के उस गूढ़ सत्य से अवगत कराता है जो जीवन, संसार और परमात्मा को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देता है।

    प्रसारण—हर मंगलवार


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