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गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा

गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा

著者: रमेश चौहान
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このコンテンツについて

"गीता-योग: अध्यात्मिक प्रबोधन की श्रवण यात्रा" एक आध्यात्मिक और चिंतनशील पॉडकास्ट श्रृंखला है, जो भगवद्गीता के 18 अध्यायों की गहन व्याख्या पर आधारित है। इस चर्चा का आधार ''अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" श्रृंखला पुस्तक है । यह श्रृंखला उन श्रोताओं के लिए समर्पित है जो जीवन के गूढ़ प्रश्नों — धर्म, कर्म, आत्मा, मोह, और आत्मबोध — के उत्तर खोज रहे हैं। हर एपिसोड आपको एक नए योग अध्याय की ओर ले जाता है, जिसमें गीता के श्लोकों का स्पष्ट, भावनात्मक और शास्त्रीय वाचन किया गया है, साथ ही उनके अर्थ को आज के परिप्रेक्ष्य में सरल भाषा में समझाया गया है । "शब्द नहीं, आत्मा बोलेगी — गीता के योगों से!"रमेश चौहान
エピソード
  • कर्मयोग: कर्म और कर्तव्य का रहस्य
    2025/08/05

    इस प्रेरणादायक एपिसोड में हम रमेश चौहान की पुस्तक "अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" के कर्मयोग खंड से अंश लेकर चर्चा करेंगे।
    श्रीमद्भगवद्गीता के अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद के माध्यम से, हम जानेंगे कि कैसे व्यक्ति अपने कर्तव्यों को बिना किसी फल की इच्छा के निभाकर जीवन में शांति, संतुलन और पूर्णता पा सकता है।

    एपिसोड में विशेष रूप से इन विषयों पर प्रकाश डाला जाएगा:

    • कर्म, ज्ञान और भक्ति योग का आपसी संबंध

    • आधुनिक जीवन में कर्मयोग का महत्व

    • काम, क्रोध, अहंकार और इंद्रियों पर नियंत्रण

    • निष्काम भाव से कर्म करने का गीता का संदेश

    यह एपिसोड आपको न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध करेगा, बल्कि आपके रोज़मर्रा के जीवन में कर्मयोग के सिद्धांतों को अपनाने की प्रेरणा भी देगा।

    चाहे तो आप इस पुस्तक को पढ़ सकते हैं- https://amzn.in/d/a8A474i

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    6 分
  • सांख्य योग का परिचय
    2025/08/03

    इस एपिसोड में हम रमेश चौहान द्वारा रचित पुस्तक "अध्यात्मिक प्रबोधन : गीता के 18 योग" के तीसरे खंड "सांख्य योग: आत्मा और प्रकृति का ज्ञान" से महत्वपूर्ण विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं।
    भगवद्गीता के दूसरे अध्याय पर आधारित यह चर्चा आत्मा की अमरता, कर्तव्य के मार्ग, और सांख्य योग व कर्म योग के गहरे संबंध को उजागर करती है।
    श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवादों के माध्यम से आत्म-ज्ञान, विवेक और धर्म की नई दृष्टि प्राप्त करें।

    🕉️ यह एपिसोड उन सभी के लिए उपयोगी है जो भारतीय दर्शन, गीता के योगों, और आत्मिक जागरण में रुचि रखते हैं।

    सांख्य योग को विस्तार से समझने के लिये अध्यात्मिक प्रबोधन : गीता के 18 योग के इस भाग की पुस्तक खरीद सकते है-https://amzn.in/d/9dWFfYo#सांख्ययोग #गीता_का_ज्ञान #अध्यात्मिकप्रबोधन #रमेशचौहान #BhagavadGitaPodcast #GeetaWisdom #आत्मज्ञान #SpiritualAwakening #SanatanDharma #KarmaYoga #IndianPhilosophy #PodcastInHindi #VedanticWisdom #GeetaGyan #ShriKrishnaUpdesh

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    5 分
  • अर्जुनविषादयोग: कर्तव्य और आत्मज्ञान
    2025/08/01

    ''अध्यात्मिक प्रबोधन:गीता के 18 योग'' श्रृंखला पुस्तक की दूसरा भाग है अर्जुनविषादयोग । अर्जुनविषादयोग श्रीमद्भगवत गीता का प्रथम अध्याय है । कुरुक्षेत्र के रणभूमि में जब युद्ध का संकल्प पंडवों और कौरवों के मनों में प्रतिबिम्बित होने लगा, अर्जुन को मानवीय संदेह और आंतरिक द्वंद्व ने घेर लिया। वह अपने स्वजनों को सामने हे‌ते ही ह्रदयशून्‍य हो गया और शास्त्रों का सार—धर्म, कर्म, भक्ति, और ज्ञान—उस समय भी संसार की भूलभुलैया के समान प्रतीत हुआ। यही वह क्षण है जब अर्जुनविषादयोग कर्मयोग, भक्ति योग, ज्ञान योग आदि मार्गों के प्रारंभिक सूत्रधार की भूमिका निभाता है। यह अध्याय गीता का पहला योग नहीं है—पर यह वही प्रथम द्वंद्व है जिससे आशाओं को दीपक की पहली लौ मिलती है।

    यह एपिसोड श्रोताओं को गीता के मूल स्थर से जोड़ता है: एक ऐसा स्तर जहाँ धर्म का युद्ध बाहरी नहीं, आंतरिक है। अर्जुन का विषाद केवल भावनात्मक क्षणिका नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति की व्यथा है—जब मन नकारात्मकता में गिरता है और वह समझ खो बैठता है कि कर्तव्य क्या है।

    यह एपिसोड दर्शाता है कि अर्जुन वास्तविक अर्थ में हम सभी की प्रतिनिधित्व करते हैं। जब जीवन जुड़ता है, कर्तव्य सोशल एक्सेप्टेंस से, रिश्ते अपेक्षा से, और आत्मा विस्मृति से, तब वह व्यक्ति अर्जुन की तरह सांवली राह चुनता है।

    "क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया जब लक्ष्य स्पष्ट न हो, मन द्वंद्व में घिरा हो और निर्णय कारागार सा प्रतीत होता हो? अर्जुन ने वही महसूस किया— वही वह स्रोत भी है जहां जागृति आरंभ होती है।"

    यहां तक कि आधुनिक जीवन में युवा जाति अपनी नसों में अर्जुन की असमंजस की गूंज सुन सकती है—करियर बनाम परिवार, सामाजिक दायित्व बनाम आत्मिक लक्ष्य, सफलता बनाम संतोष—यह सार है इस एपिसोड का ।

    ''अध्यात्मिक प्रबोधन:गीता के 18 योग'' श्रृंखला पुस्तक की दूसरा भाग है अर्जुनविषादयोग को आप पढ़ सकते हैं-https://amzn.in/d/gbnMM4m

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