
गीता के 18 योग: आत्म-साक्षात्कार की ओर एक यात्रा
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このコンテンツについて
होस्ट: रमेश चौहान — शिक्षक, आध्यात्मिक चिंतक और लेखक"श्रीमद्भगवद्गीता" केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन की चुनौतियों, कर्तव्यों और आत्मिक यात्रा का अद्वितीय मार्गदर्शक है। इस परिचयात्मक एपिसोड में पुस्तक "अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" के सार को संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आगामी कड़ियों में एक-एक योग अर्थात श्रीमद्भगवत गीता के एक-एक अध्याय पर चर्चा करेंगे ।
यह शो 18 योगों की यात्रा को सरल, सहज एवं श्रवणीय रूप में प्रस्तुत करता है—जहाँ विषाद से भक्ति, कर्म से ज्ञान, और अंततः मोक्ष तक का मार्ग खुलता है। हर योग एक अध्यात्मिक सोपान है, जो साधक को आत्मबोध, शांति और दिव्य संतुलन की ओर ले जाता है।
प्रस्तावना में बताया गया है कि गीता कैसे आधुनिक जीवन की दुविधाओं में भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी महाभारत काल में थी। इसमें कर्मयोग की निष्काम भावना, ज्ञानयोग की विवेक दृष्टि, और भक्ति योग की प्रेम-पूर्ण समर्पण भावना को सहज भाषा में समझाया गया है।
इस पॉडकास्ट का उद्देश्य केवल शास्त्रों का पाठ करना नहीं, बल्कि उनके आत्मसात योग्य संदेश को जीवन में उतारने में आपकी सहायता करना है। श्रृंखला का स्वर विनम्र, आत्मीय और गंभीर है, जिससे यह श्रोता के मन में स्थायी प्रभाव छोड़ता है। चाहे आप अध्यात्म के मार्ग पर नए हों या वर्षों से अध्ययनरत, यह पॉडकास्ट आपकी आंतरिक यात्रा को नई दिशा देगा।
शो का निर्माण साहित्य, दर्शन और आध्यात्मिक शिक्षा के गहन अध्ययन के आधार पर किया गया है, जो गीता को एक 'श्रवणीय ज्ञान ग्रंथ' के रूप में प्रस्तुत करता है। आप इस श्रवण यात्रा में जुड़े रहें, आत्ममंथन करें, और गीता के अमर संदेश को अपने हृदय में आत्मसात करें।
यह एपिसोड केवल पुस्तक का सार नहीं, बल्कि आपकी आत्मा के भीतर झाँकने का एक आमंत्रण है।
यदि आप जीवन में स्थिरता, आत्मबल और गहराई से जीने का मार्ग खोज रहे हैं—तो यह श्रृंखला आपके लिए है।
"शब्द नहीं, आत्मा बोलेगी — गीता के योगों से!