
आदि शंकराचार्य – अद्वैत वेदांत के प्रणेता
カートのアイテムが多すぎます
カートに追加できませんでした。
ウィッシュリストに追加できませんでした。
ほしい物リストの削除に失敗しました。
ポッドキャストのフォローに失敗しました
ポッドキャストのフォロー解除に失敗しました
-
ナレーター:
-
著者:
このコンテンツについて
इस एपिसोड में हम श्रवण करेंगे आदि शंकराचार्य के जीवन और उनकी शिक्षाओं का विस्तृत विवरण।
आदि शंकराचार्य का जन्म 8वीं शताब्दी में केरल के कालडी गाँव में हुआ। बाल्यावस्था से ही वे अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे और कम उम्र में ही संन्यास लेने का निर्णय लिया। उन्होंने भारत भर में दिग्विजय अभियान चलाया और शास्त्रार्थों के माध्यम से अद्वैत वेदांत की स्थापना की।
उनकी बहसें, विशेषकर मण्डन मिश्र और भारती के साथ, आज भी भारतीय दार्शनिक इतिहास के अमूल्य अध्याय माने जाते हैं। शंकराचार्य ने उपनिषदों, गीता और ब्रह्मसूत्र पर गहन भाष्य लिखकर अद्वैत सिद्धांत को स्पष्ट किया—
“ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः”
भारत के चारों कोनों में उन्होंने चार मठों की स्थापना की और दशनामी संन्यासी परंपरा की नींव रखी।
यद्यपि उनका जीवन केवल 32 वर्षों का था, लेकिन उनके विचार और संस्थाएँ आज भी भारतीय संस्कृति और दर्शन को दिशा दे रही हैं।
इस एपिसोड में आप जानेंगे:
उनका जन्म और संन्यास का निर्णय
दिग्विजय अभियान और शास्त्रार्थ
अद्वैत दर्शन और ब्रह्मसूत्र-भाष्य
चार मठों की स्थापना और दशनामी संन्यासी परंपरा
भारत की आध्यात्मिक एकता में उनका योगदान
आदि शंकराचार्य का जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मज्ञान और सत्य की खोज ही मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
#SantCharitravali #AdiShankaracharya #AdvaitaVedanta #SanatanDharma #BhagavadGita #Upanishads #Brahmasutra #IndianPhilosophy #SpiritualPodcast #HinduPhilosophy #SanatanSanskriti