
अर्जुन का विषाद: आत्मा-शरीर द्वंद्व और गीता का ज्ञान
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このコンテンツについて
यह एपिशोड अर्जुन के विषाद और आत्मा-शरीर के द्वंद्व पर केंद्रित है, जैसा कि भगवद गीता में वर्णित है। यह बताता है कि अर्जुन की दुविधा केवल युद्ध से संबंधित नहीं थी, बल्कि एक गहरा नैतिक और आध्यात्मिक संघर्ष था। श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि आत्मा शाश्वत और अविनाशी है, जबकि शरीर नश्वर है, और यह ज्ञान उसे अपने मोह और शोक से उबरने में मदद करता है। यह पाठ आत्मिक स्वतंत्रता के विचार पर भी प्रकाश डालता है, जो व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है। अंततः, यह अर्जुन के संकट को जीवन के सार्वभौमिक संघर्षों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसके समाधान के लिए आत्मा और शरीर के द्वैत को समझना महत्वपूर्ण है।
इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- "अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)
इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"
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