エピソード

  • चाणक्य नीति | क्यूँ नहीं करना चाहिए एक दूसरे से भेद प्रकट ? सुनें श्लोक
    2025/05/02

    जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • कर्म का त्याग करने से तुम्हारे शरीर का भरण पोषण भी संभव नहीं होगा। श्लोका- Everyday
    2025/02/12

    तुम्हें निर्धारित वैदिक कर्म करने चाहिए क्योंकि निष्क्रिय रहने से कर्म करना श्रेष्ठ है। कर्म का त्याग करने से तुम्हारे शरीर का भरण पोषण भी संभव नहीं होगा।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • दिव्य चेतना में स्थित मनुष्य | भगवतगीता श्लोक
    2025/01/30

    श्रीकृष्ण कहते हैं: हे पार्थ! जब कोई मनुष्य स्वार्थयुक्त कामनाओं और मन को दूषित करने वाली इन्द्रिय तृप्ति से संबंधित कामनाओं का परित्याग कर देता है और आत्मज्ञान को अनुभव कर संतुष्ट हो जाता है तब ऐसे मानव को दिव्य चेतना में स्थित कहा जा सकता है।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • इस प्रकार मनुष्य प्रजाति करती है अपनी बुद्धि का विनाश | श्लोका- Everyday
    2025/01/20

    जिस प्रकार प्रचंड वायु अपने तीव्र वेग से जल पर तैरती हुई नाव को दूर तक बहा कर ले जाती है उसी प्रकार से अनियंत्रित इन्द्रियों मे से कोई एक जिसमें मन अधिक लिप्त रहता है, बुद्धि का विनाश कर देती है

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • कौन है संसार का सर्वभक्षी शत्रु | श्लोका - Everyday
    2025/01/13

    अकेली काम वासना जो रजोगुण के सम्पर्क में आने से उत्पन्न होती है और बाद में क्रोध का रूप धारण कर लेती है, इसे पाप के रूप में संसार का सर्वभक्षी शत्रु समझो |

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • क्या होती है पूर्ण ज्ञानावस्था, सुनिए श्लोक | श्लोका - Everyday
    2025/01/08

    जो सभी परिस्थितियों में अनासक्त रहता है और न ही शुभ फल की प्राप्ति से हर्षित होता है और न ही विपत्ति से उदासीन होता है वही पूर्ण ज्ञानावस्था में स्थित मुनि है।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • मुनियों के लिए होता है दिन अज्ञानता की रात्रि | श्लोका-Everyday
    2024/12/24

    जिसे सब लोग दिन समझते हैं वह आत्मसंयमी के लिए अज्ञानता की रात्रि है तथा जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मविश्लेषी मुनियों के लिए दिन है।

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分
  • योगीजन केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं | श्लोका- Everyday
    2024/12/17

    योगीजन आसक्ति को त्याग कर अपने शरीर, इन्द्रिय, मन और बुद्धि द्वारा केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं |

    See omnystudio.com/listener for privacy information.

    続きを読む 一部表示
    1 分