『Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 22』のカバーアート

Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 22

Shri Bhagavad Gita Chapter 17 | श्री भगवद गीता अध्याय 17 | श्लोक 22

無料で聴く

ポッドキャストの詳細を見る

このコンテンツについて

यह श्लोक श्रीमद्भगवद गीता के 17.22 का अंश है। इसमें भगवान श्री कृष्ण तामसी दान का वर्णन करते हुए कहते हैं:

"जो दान अनुचित स्थान और समय पर, अयोग्य व्यक्ति को, बिना आदर और सम्मान के, या तिरस्कारपूर्वक दिया जाता है, वह तामसी दान कहलाता है।"

भगवान श्री कृष्ण यहाँ यह बताते हैं कि तामसी दान अज्ञान, अहंकार और असंवेदनशीलता से प्रेरित होता है। ऐसा दान न तो दाता के लिए पुण्य का कारण बनता है और न ही प्राप्तकर्ता के लिए कोई वास्तविक सहायता करता है। यह दान धर्म और निस्वार्थता के सिद्धांतों के विपरीत है।

#BhagavadGita #Krishna #TamasicDana #ImproperGiving #GitaShloka #SpiritualAwakening #DivineWisdom #Apathy #Ignorance #SelfRealization #AncientWisdom #HolisticLiving #DutyAndCompassion #NegativeActions #SpiritualGrowth

Here are some hashtags you can use for this shloka:

まだレビューはありません