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サマリー
あらすじ・解説
यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय (भक्तियोग) का अंतिम (20वाँ) श्लोक है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने परमप्रिय भक्तों का उल्लेख कर रहे हैं।
"ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्दधाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रिया:॥"
"जो श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस धर्ममय और अमृत तुल्य उपदेश का अनुसरण करते हैं, जो मुझे ही परम लक्ष्य मानते हैं और मुझमें पूर्ण रूप से समर्पित रहते हैं—वे भक्त मुझे अत्यंत प्रिय हैं।"