• Shri Bhagavad Gita Chapter 12 | श्री भगवद गीता अध्याय 12 | श्लोक 19

  • 2025/04/18
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Shri Bhagavad Gita Chapter 12 | श्री भगवद गीता अध्याय 12 | श्लोक 19

  • サマリー

  • यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय (भक्तियोग) का 19वाँ श्लोक है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय भक्तों के लक्षण बताते हैं।

    "तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित्।
    अनिकेत: स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नर:॥"

    "जो निंदा और स्तुति (प्रशंसा) को समान रूप से स्वीकार करता है, जो मितभाषी (अल्प बोलने वाला) है, जो किसी भी परिस्थिति में संतुष्ट रहता है, जो किसी स्थान या वस्तु से आसक्त नहीं है, और जिसकी बुद्धि स्थिर है—ऐसा भक्त मुझमें दृढ़ निष्ठा रखने वाला है और वह मुझे अत्यंत प्रिय है।"

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あらすじ・解説

यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय (भक्तियोग) का 19वाँ श्लोक है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय भक्तों के लक्षण बताते हैं।

"तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित्।
अनिकेत: स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नर:॥"

"जो निंदा और स्तुति (प्रशंसा) को समान रूप से स्वीकार करता है, जो मितभाषी (अल्प बोलने वाला) है, जो किसी भी परिस्थिति में संतुष्ट रहता है, जो किसी स्थान या वस्तु से आसक्त नहीं है, और जिसकी बुद्धि स्थिर है—ऐसा भक्त मुझमें दृढ़ निष्ठा रखने वाला है और वह मुझे अत्यंत प्रिय है।"

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