『Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (3) || मुल्ले और पंडे मानवता के दुश्मन』のカバーアート

Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (3) || मुल्ले और पंडे मानवता के दुश्मन

Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (3) || मुल्ले और पंडे मानवता के दुश्मन

無料で聴く

ポッドキャストの詳細を見る

このコンテンツについて

मुल्लों और पंडो से मेरी दुश्मनी मुझे साधुओं और धर्म शास्त्रियों से क्या शिकायत है? जिसने इनको भोगा है वही समझ सकता है। ये कोई मज़ाक की बात नहीं। न जाने कितनी ज़िंदगियाँ इनके चक्कर में बर्बाद हो गईं । हंसी तो तब आती है जब खुद को वैज्ञानिक और free thinker कहने वाले भी इन बाबाओं के चरणों में लोटते नज़र आते हैं। मैं जिस चीज की बात कर  रहा हूँ उसे ठीक से पहचानिए। बाबागीरी की बीमारी केवल साधुओं और पंडितों में नहीं पाई जाती। मैं idealists- खुद को आदर्शवादी समझने वालों को भी इसी श्रेणी में रखता हूँ। ऐसे सारे लोग जिनको लगने लगे की उनका जन्म इस संसार में वास करने के लिए नहीं हुआ है- ये जन्म, मृत्यु, संसार, मुक्ति और निर्वाण जैसे गंभीर विषयों पर मनन चिंतन करते दिखाई देंगे। साधारण बातें छोड़ कर हमेशा किसी बड़े आदर्श की बात करेंगे, दूर किसी क्षितिज पर अपनी निगाहें टिकाए रखेंगे। ऐसे विशेष गूढ सिद्धांतों और concepts की बातें करेंगे जो रोजमर्रा की ज़िंदगी से कोसों दूर हों। इनके अनुसार संसारी चिंताऐं केवल हम जैसे साधारण लोगों के लिए हैं। महान साधु बाबा केवल ऐसी बड़ी-बड़ी बातों पर चिंतन करते हैं जिनका हमारे संसार से कोई लेना-देना नहीं। आम मानवों के मनोभावों को ये माया जाल समझते हैं। हर मानवी भावुकता से बचते फिरने की सीख देते हैं। हम कहते हैं की मिथ्या चेतना और माया की बात झूठ है। धर्म के पंडों का विनाशकारी झूठ। इस लोक को छोड़ कर किसी दूसरे लोग, किसी और संसार की बात करना धर्म-मजहब का सबसे बड़ा पाप है। धर्म के पंडे दिन-रात जीवन और संसार को विषैला बनाने का उपक्रम करते हैं। मुल्ले और पंडों का असली पेशा है- जिंदगी को बदनाम करना, इस लोग को छोड़कर किसी और लोग की बात करना। सबसे अधिक आश्चर्य तो तब होता है जब इन्हीं धर्म के महंतों को दिन-रात सत्य, सत्य की तलाश आदि की बातें करते सुनता हूँ। सामने जो यथार्थ है उसे छोड़ कर दूसरे लोकों, अलौकिक लक्ष्यों की बात करने वाले सत्य के बारे में कुछ नहीं जानते, और न कभी जान सकेंगे। संसार का त्याग इनका प्रमुख नारा है। ये हिमायती हैं अस्तित्व को नकारने के, संसार को छोड़कर, नगण्य बन जाने के, जीना छोड़ कर मर जाने के, सब कुछ से, कुछ नहीं बन जाने के। साधु वृत्ति से बड़ा जीवन का शत्रु और कोई नहीं । बाबागीरी का कीड़ा दृष्टि को विकृत और मिथ्यावादी ...

Nietzsche का नास्तिक दर्शन || The Anti-Christ (3) || मुल्ले और पंडे मानवता के दुश्मनに寄せられたリスナーの声

カスタマーレビュー:以下のタブを選択することで、他のサイトのレビューをご覧になれます。