『DHADKANE MERI SUN』のカバーアート

DHADKANE MERI SUN

DHADKANE MERI SUN

著者: Dr. Rajnish Kaushik
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このコンテンツについて

Self composed various aspects of love, various feelings, sensations and colors of love with enchanting and melodious words of Hindi and Urdu language have been presented in a very poetic manner in every episode of this podcast . All the episodes of this podcast are solemnly dedicated to all the lovers just as the cycle of love never ends in the same way these love lyrics episode will move on, move on and move...© Dr. Rajnish Kaushik 2025 人間関係 社会科学
エピソード
  • Tumhara Intezar
    2025/12/11

    कहते हैं कि वक़्त आदतन चीजों को संयमित कर देता है , मगर इंतजार...जो प्यार में होता है किसी का, वह अपनी जगह ढीठ बना रहता है, शून्य और अनंत के बीच फैले रिक्त स्थानो में...यह सोच कर कि तुम आओगी और पढ़़ोगी मेरी आँखों में लिखी वो सारी प्रार्थनाएं, जो ईश्वर से करता रहता हूँ मौन की डोर पकड़ कर...इस ख्याल से भी कि किसी तरह दिल बहल जाये, इन्तज़ार के पल ढल जायें, करार रातों के बेक़रारी में बदल जायें, जादू प्रेम का मेरे तुम्हारे ना आने की जिद पे कुछ यूँ चल जाये..कि ना चाह कर भी तुम पुकार लो मुझे...कि तुम ही से प्यार है...तुम्हारा इंतजार है....

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    20 分
  • Teri marzi
    2025/12/10

    वो लम्हे जो दर्द थे तेरा

    वो लम्हे जो फर्ज थे मेरा निभाये जो आँसुओं की धार में वो लम्हे जो मुझपे कर्ज़ थे तेरा.... मगर कह के एहसां , जता दिया तूने अपनों की फ़ेहरिस्त से हटा दिया तूने हुस्न और इश्क़ की जद्दोजहद में मैं गैर हूँ तल्ख लहजे में बता दिया तूने... फिर भी मैं दहकता रहा उसी आग में गाता रहा तुझी को ग़मों के साज़ में घुटता रहा- मरता रहा- रहा फिर भी जिंदा पुकारता ही रहा दिल की हर आवाज में मगर तूने नहीं समझी मेरी चाहत मेरी मर्जी गुरूर ए हुस्न में अपने सुनी ना दिल की एक अर्जी तेरी मर्जी...तेरी मर्जी...तेरी मर्ज़ी
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    18 分
  • Mai aur meri tanhai
    2025/12/04

    तेरी यादों में जलकर ये अहसास हुआ कि आग हो या प्यास...पानी से नहीं बुझती....

    इसलिए ...मैं और मेरी तन्हाई...अक्सर ये बातेँ करते हैं कि... तुम होतीं ... तो कभी आँखों से पीते, कभी लबों से पीते... पैमाने मोहब्बतों वाले... हर ज़ाम में तेरी प्यास होती, हर घूंट में तेरी खुशबू हम घूंट- घूंट पीते पैमाने... मोहब्बतों वाले..... तुम होतीं... तो हर रात ये चांद भी मुस्कुराता, हम पे चाँदनी लुटाता हर सुबह होता जिक्र हर गुज़री रात का हर जज्ब हममे ढल जाता... तुम होतीं..तो हवाएं भी हंसती फिज़ायें कदमों की आहट से बजतीं हर मौसम तुम्हारे इशारों पे ठहर जाता और आलम-ए- तन्हाई मुक्कमल हो जाता तुम होतीं..तो मेरे मन के सागर में ना जाने कितनी रंगीनियाँ होतीं... जीवन में सिर्फ़ रोशनियां होतीं... लबों पे सिर्फ़ प्यार ही प्यार होता नयनों में सरगोशियां होतीं.. तुम होतीं...तो मेरे शब्दों को अर्थ मिल गये होते मुरझाए गुल भी खिल गये होते... ...मैं और मेरी तन्हाई..अक्सर ऐसी ही बातेँ करते हैं.. ...दिन हो या रात...तुम्हारी ही राह तकते हैं...
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    32 分
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