『Cafe Kahaani: From My Heart To Yours』のカバーアート

Cafe Kahaani: From My Heart To Yours

Cafe Kahaani: From My Heart To Yours

著者: Cafe Kahaani™ by Seema Chawdhary
無料で聴く

このコンテンツについて

Cafe Kahaani brings to you my take on life experiences via talks or poems, or both. :)Cafe Kahaani™ by Seema Chawdhary 社会科学
エピソード
  • Space: From My Heart To Yours
    2025/11/25

    Some questions consistently pop up in my head, hence tried to put it out here...

    続きを読む 一部表示
    5 分
  • Dilli Ki Baarish
    2025/10/08
    दिल्ली की सांझ सुर्ख़ाब सी हो चली है, और बारिश के बाद ये शहर धुंधला सा लगता है। ताजदार-ए-हरम की निगाह-ए-करम हवाओं में गूंज रही है, मानो हर बूंद में कोई राग छिपा हो। मैं सड़कों पर चल रही हूँ, कदमों की आहट के साथ मन में सवाल उमड़ते हैं-ये लोग कहाँ भाग रहे हैं?हर चेहरा अपनी कहानी लिए चुपके से आगे बढ़ रहा है, और मैं, अपने खयालों की दुनिया में खोई, सोच रही हूँ कि क्या है जो इस पल को इतना खास बनाता है। मेरे मन में अरमानों का मेला सजा है, जैसे बादलों पर पाँव रखे हों। दिल कहता है, कुछ बड़ा होने वाला है, कुछ नया जन्म लेने को बेताब है। क्या ये दिल्ली की गलियों का जादू है, जो हर बार मुझे अपने में समेट लेता है? या फिर मेरे भीतर की वो बेचैनी, जो हर बार इस शहर के साथ सांस लेती है? मैं चलती हूँ, और हर कदम के साथ लगता है, शायद यहीं कहीं मेरी मंजिल का आलम छिपा है। ये शहर, ये बारिश, ये हवा, सब मिलकर जैसे कोई गीत गुनगुना रहे हैं, और मैं उसकी ताल पर थिरक रही हूँ, बिना जाने कि अगला सुर क्या होगा।बारिश में दिल्ली को देखकर मैं पागल सी हो जाती हूँ। ये शहर, जैसे कोई पुराना गीत हो, जो हर बूंद के साथ फिर से जी उठता है। सड़कों पर पानी की धाराएँ, गलियों में ठहरी सी नमी, और हवाओं में बसी वो सुगंध, सब मिलकर मुझे बेकरार कर देते हैं। मगर ये पागलपन है अरमानों का, जैसे मैं कुछ बड़ा बना रही हूँ, जैसे समय को नाविक की तरह खेते जा रही हूँ। रास्ते में लोग मिलते जा रहे हैं, और धीरे-धीरे एक कारवां बनता जा रहा है। हर मुलाकात एक नया रंग जोड़ती है, हर हंसी मेरे दिल में एक नई कहानी बुनती है।फिर एक पल को ठहरती हूँ और सोचती हूँ, सब साथ तो हैं ना?वो जो कभी मेरे साथ थे, वो जो अब कहीं पीछे छूट गए, उनकी यादें अचानक कौंध जाती हैं। उनकी हंसी, वो बेपरवाह बातें, वो पल जो अब सिर्फ़ यादों में बाकी हैं। मगर अजीब बात है, उनकी हंसी आज के लोगों की हंसी में घुल जाती है। जैसे समय ने सारी हंसी को एक धागे में पिरो दिया हो, बीता हुआ, और जो अब है, सब एक साथ।मैं मुस्कुराती हूँ। मेरा दिल ख़ुश है, संतुष्ट है। बारिश की बूंदों के बीच, गुलाब की पंखुड़ियाँ जैसे मुझे ख़ुशी और दिलासा देती हैं। वो नाज़ुक सी पंखुड़ियाँ, जो हवा में लहराती हैं, मुझे यकीन दिलाती हैं कि सब ठीक है। दिल्ली की ये बारिश, ये लोग, ये कारवां, और मेरे मन का ये ...
    続きを読む 一部表示
    4 分
  • Yadein (यादें)
    2024/10/29
    कुछ पन्ने ही तो पलटे, कुछ वक़्त ही तो बीता, कुछ मुक़ाम हीतो बदले। बदले चाहे कितनी ही चीज़ें, हालात या बातें—एक शब्द ने सभी को समेट रखा है—यादें।...
    続きを読む 一部表示
    1 分
まだレビューはありません