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द्वितीय प्रसाद — केनोपनिषद् द्वितीयः खण्डः (ब्रह्म का स्वरूप: ज्ञान–अज्ञान का रहस्य)

द्वितीय प्रसाद — केनोपनिषद् द्वितीयः खण्डः (ब्रह्म का स्वरूप: ज्ञान–अज्ञान का रहस्य)

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इस एपिसोड में प्रस्तुत है एकादशोपनिषद प्रसाद का द्वितीय प्रसाद,
जो केनोपनिषद् के द्वितीयः खण्डः पर आधारित एक गहन दार्शनिक विश्लेषण है।

यह खण्ड इस मूल प्रश्न को सामने रखता है —
क्या ब्रह्म को जाना जा सकता है?
और यदि कोई यह कहे कि उसने ब्रह्म को पूरी तरह जान लिया है, तो उपनिषद उसे अज्ञानी क्यों कहता है?

केनोपनिषद् स्पष्ट करता है कि ब्रह्म असीम, अनंत और वाणी–विचार की सीमाओं से परे है।
सच्चा ज्ञान अहंकारपूर्ण दावे में नहीं, बल्कि इस विनम्र स्वीकार में निहित है कि ब्रह्म को पूरी तरह जाना नहीं जा सकता।

यह एपिसोड समझाता है कि आत्मज्ञान ही अमरत्व और जन्म–मृत्यु के चक्र से मुक्ति का एकमात्र मार्ग है, और इसी जीवन में ब्रह्म की अनुभूति ही परम सत्य है।

सुनिए
एकादशोपनिषद प्रसाद में
केनोपनिषद् द्वितीयः खण्डः : ज्ञान और अज्ञान का सूक्ष्म रहस्य।
✨ नया एपिसोड हर सोमवार।

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