“मौन में बसता साहित्य : विनोद कुमार शुक्ल को श्रद्धांजलि”
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सुरता साहित्य की धरोहर के इस विशेष साहित्य क्षितिज अंक में हम नमन करते हैं हिंदी साहित्य के अद्वितीय और विनम्र रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल को।
23 दिसंबर 2025 को उनके निधन के पश्चात यह श्रद्धांजलि प्रस्तुति उनके जीवन, लेखन और साहित्यिक विरासत को स्मरण करती है। विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी सादगीपूर्ण भाषा, आम जीवन की अनुभूतियों और गहन मानवीय संवेदनाओं के माध्यम से साहित्य को
एक नई दृष्टि और नई आत्मा दी।
‘नौकर की कमीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी कृतियों के जरिए उन्होंने यह सिद्ध किया कि साधारण दिखने वाला जीवन भी
असाधारण दर्शन से भरा होता है।
ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी जैसे सम्मानों से अलंकृत होकर भी वे आजीवन बनावटीपन से दूर रहे। यह एपिशोड एक लेखक को विदाई नहीं, बल्कि उस मौन, करुणा और संवेदना को सलाम है जो उनके शब्दों में सदैव जीवित रहेगी।
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