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सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

著者: Caty
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このコンテンツについて

🎙️ About the Show: "सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में" इस पावन यात्रा में आपका स्वागत है — जहाँ हम हिंदू धर्म की दिव्य कथाओं, पुराणों, ग्रंथों और आस्थाओं को सरल, मधुर भाषा में प्रस्तुत करते हैं। रामायण, महाभारत, भगवद गीता, वेद-उपनिषद और लोक मान्यताओं से जुड़ी बातें अब होंगी आपके दिल से जुड़ी हुई — सहज शब्दों में, लेकिन उसी श्रद्धा और गहराई के साथ। यह चैनल एक छोटा प्रयास है सनातन ज्ञान को आज की पीढ़ी तक सुलभ और जीवंत रूप में पहुँचाने का। रोज़ सुनें, जुड़ें, और भीतर की शांति महसूस करें।Caty スピリチュアリティ ヒンズー教
エピソード
  • मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा
    2025/08/30

    मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा को लेकर हिन्दू धर्म में बहुत गहरी और भावनात्मक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं। हमारे बुज़ुर्ग और शास्त्र बताते हैं कि शरीर तो नश्वर है, मिट्टी से बना है और अंत में मिट्टी में ही मिल जाता है, परंतु आत्मा अमर है। यही आत्मा शरीर छोड़ने के बाद भी अपनी यात्रा जारी रखती है। इस यात्रा को लेकर कई ग्रंथों और परम्पराओं में वर्णन मिलता है और आम जनमानस में भी कुछ मान्यताएँ गहराई से जमी हुई हैं।मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा को हिन्दू धर्म में बहुत गहराई और श्रद्धा से समझाया गया है। यह मान्यता केवल डराने के लिए नहीं बल्कि जीवन में कर्म की महत्ता बताने के लिए है। जब हम जानते हैं कि मृत्यु के बाद भी आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना है, तब स्वाभाविक है कि हम जीवन में अच्छे कर्म करने का प्रयास करें। यही संदेश इन परम्पराओं और मान्यताओं में छिपा है।


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    24 分
  • शब्द की खोज एक आध्यात्मिक यात्रा
    2025/08/10

    त्रिशक्ति क्या है

    • त्रिशक्ति या त्रिमूर्ति — ब्रह्मा (सृजन), विष्णु (पालन) और महेश/शिव (संहार) — ये ब्रह्मांड के तीन मुख्य कार्यों का प्रतीक हैं।

    • ये “कार्यकारी शक्तियाँ” हैं, जो ब्रह्मांड की व्यवस्था चलाने का दार्शनिक और प्रतीकात्मक तरीका हैं।

    • हिंदू पुराणों में इन्हें अक्सर स्वतंत्र देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन वेदांत और उपनिषद के स्तर पर इन्हें ब्रह्म (परम सत्ता) के “कार्य रूप” माना गया है।

    • उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।

    • ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।

    • संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।

    2. ईश्वर / ब्रह्म क्या है


    • उपनिषद कहते हैं: “एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य (ईश्वर) एक है, ज्ञानी लोग उसे कई नामों से पुकारते हैं।

    • ब्रह्म या ईश्वर कोई एक कार्य नहीं करता, बल्कि सभी कार्यों का स्रोत है — वही शक्ति है जिससे सृष्टि (ब्रह्मा), पालन (विष्णु) और संहार (शिव) की प्रक्रियाएँ चलती हैं।

    • संतमत और कबीरपंथ के अनुसार यही “ईश्वर” मूल शब्द / नाद / सतपुरुष है, जिससे सारी शक्तियाँ (त्रिमूर्ति भी) उत्पन्न हुई हैं।

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    13 分
  • भाग 4: 51 शक्ति पीठ – 18 महा पीठों से परे
    2025/07/21

    इस भाग में, हम इनमें से कुछचुनिंदा पीठों की यात्रा करेंगे—कुछ भव्य मंदिर,कुछ छिपे हुए तीर्थ—जो भारत और उसकेबाहर फैले हैं। हिमाचल की बर्फीली चोटियों से लेकर तमिलनाडु के समुद्र तटों तक, प्रत्येक पीठ माँ सतीके बलिदान का एक अंश धारण करता है,जिसमें भक्ति की कथाएँ और समय के साथगूँजने वाले चमत्कार हैं। हम इनकी कथाओं का अन्वेषण करेंगे, जो देवी पुराण, कालिका पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, औरराजाओं, ग्रामीणों, और तीर्थयात्रियों कीविस्तृत कहानियाँ साझा करेंगे, जिनके जीवन माँ ने छू लिए। यह अंधविश्वास नहीं, बल्कि शास्त्रों औरअसंख्य भक्तों के अनुभवों पर निर्मित आस्था है। तो,मेरे साथ चलें, माँ के दैवीय आलिंगनके लिए अपने हृदय खोलकर इन पवित्र स्थानों में कदम रखें।

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    22 分
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