विनोद नायक की अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी “काली थैली”
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सुरता साहित्य की धरोहर के इस विशेष कहानी-वाचन में प्रस्तुत है
विनोद नायक की अत्यंत मार्मिक और संवेदनशील कहानी “काली थैली”।
यह कथा सड़क के डिवाइडर पर रहने वाले पागल भोलू के माध्यम से समाज की संवेदनहीनता, बेटी के अस्तित्व, और निस्वार्थ प्रेम की शक्ति को उजागर करती है।
एक काली थैली में छोड़ी गई नवजात बच्ची कैसे एक बेसहारा व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य बन जाती है, और वही बच्ची आगे चलकर उसी जीवन की रक्षक बनती है —
यही इस कहानी का भावनात्मक केंद्र है।
यह कहानी बताती है कि
मानवता किसी पहचान, हैसियत या मानसिक स्थिति की मोहताज नहीं होती।
कभी-कभी समाज जिन लोगों को पागल कह देता है, वही सबसे अधिक इंसान होते हैं । इस कहानी-वाचन के माध्यम से हम “बेटी बचाओ”, करुणा, त्याग और कर्म के गहरे अर्थों को समझने का प्रयास करते हैं।
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