भारतीय दर्शन में आत्मा की यात्रा: मृत्यु, पुनर्जन्म और मुक्ति
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इस एपिसोड में “मृत्यु के बाद का जीवन: एक शाश्वत अन्वेषण” आपको भारत की गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपरा में ले चलता है, जहाँ मृत्यु को अंत नहीं बल्कि चेतना की निरंतर यात्रा माना गया है।
हम समझते हैं—
आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन में आत्मा और ब्रह्म की एकता
रामानुज के विशिष्टाद्वैत में भक्ति के साथ मुक्ति का मार्ग
मध्वाचार्य के द्वैत दर्शन में आत्मा और ईश्वर का भिन्न संबंध
सिख धर्म में कर्म और ईश्वर-स्मरण द्वारा आत्मिक विकास
कबीर के दोहों में कर्मकांड से परे सत्य की खोज
स्वामी विवेकानंद की चेतना-जागरण की दृष्टि
साथ ही, आधुनिक विचारकों—
ओशो, जिद्दू कृष्णमूर्ति और सद्गुरु—के माध्यम से यह प्रश्न उठता है:
👉 क्या आत्मा वास्तव में शाश्वत है, या चेतना ही अंतिम सत्य है?
एपिसोड अंत में यह संदेश देता है कि
मृत्यु का रहस्य सुलझाने से अधिक महत्वपूर्ण है—जागरूकता, सेवा और करुणा के साथ जीवन जीना।