पुस्तक “1857 सोना खान” (लेखक: आशीष सिंह ठाकुर)
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सुरता साहित्य की धरोहर के मंगलवार विशेष अंक में आज हम परिचय करा रहे हैं आशीष सिंह ठाकुर द्वारा रचित शोधपरक और चेतना-जागृत करने वाली पुस्तक “1857 सोना खान” का। यह कृति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस उपेक्षित अध्याय को उजागर करती है, जिसमें छत्तीसगढ़ की धरती पर नारायण सिंह, वीर सुरेंद्र साय और हनुमान सिंह जैसे महान योद्धाओं ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया।
पुस्तक का केंद्र सोना खान विद्रोह है — जो केवल एक स्थानीय संघर्ष नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता, स्वाभिमान और आत्मसम्मान का प्रतीक बनकर उभरता है। यह समीक्षा बताती है कि “1857 सोना खान” सिर्फ इतिहास की पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए बलिदान, संघर्ष और राष्ट्रबोध एक प्रेरणादायक लोकगाथा है। यह पुस्तक छत्तीसगढ़ को केवल खनिज-संसाधनों की भूमि नहीं, बल्कि शहीदों की पवित्र कर्मभूमि के रूप में स्थापित करने का सशक्त साहित्यिक प्रयास है।
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