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पितृ पक्ष कथा 2022 --सती जरत्कारु \\नागवंश का इतिहास

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पितृ पक्ष कथा 2022 --सती जरत्कारु \\नागवंश  का   इतिहास    पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर उनकी पूजा-पाठ की जाती है. इन दिनों पूर्वजों ग्रहों की शांति के लिए दान-पुण्य और पूजा पाठ किए जाते हैं, ताकि हम पर पूर्वजों की कृपा बनी रहे. इन दिनों श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है और पितरगण वंश विस्तार का आशीर्वाद देते हैं.  श्राद्ध हिन्दू एवं अन्य भारतीय धर्मों में किया जाने वाला एक कर्म है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के निमित्त किया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि जिन पूर्वजों के कारण हम आज अस्तित्व में हैं, जिनसे गुण व कौशल, आदि हमें विरासत में मिलें हैं, उनका हम पर न चुकाये जा सकने वाला ऋण हैं। वे हमारे पूर्वज पूजनीय हैं।  माता और पिता दोनों का श्राद्ध उनके देहावसान के दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष (या पितृपक्ष में सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है। 'पितर' से आधय माता-पिता, नाना-नानी, दादी-दादी, और उनके पहले उत्पन्न सभी सम्बन्धी (मातृपक्ष और पितृपक्ष दोनों के)  पंडित राजेश  शर्मा   #hindu #pitru_paksha #pitrupaksha2022 #vedicastrology #nagvanshifamil

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