कविता का आधार स्तंभ — छंद
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सुरता साहित्य की धरोहर के शनिवार – साहित्य सृजन कला सत्र में इस बार हम कविता के उस मूल अनुशासन से परिचित होते हैं, जो पद्य को लय, सौंदर्य और संरचना प्रदान करता है — छंद।
यह ज्ञानपरक आलेख हिंदी और छत्तीसगढ़ी कविता के संदर्भ में छंद की भूमिका को विस्तार से समझाता है। इसमें छंद को केवल तुकबंदी नहीं, बल्कि कविता की गति, यति और संगीतात्मकता का आधार बताया गया है। एपिसोड में छंद के नौ प्रमुख अंगों — गति, यति, वर्ण, मात्रा, तुक आदि — की सरल और सूक्ष्म व्याख्या की गई है, जिससे रचनाकार कविता के शिल्प को वैज्ञानिक दृष्टि से समझ सकें।
इसके साथ ही वर्णिक और मात्रिक छंदों के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए मात्राओं की गणना के नियमों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह सत्र उन नए रचनाकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो कविता लेखन की बुनियादी समझ विकसित करना चाहते हैं, और उन अनुभवी कवियों के लिए भी, जो अपने शिल्प को और परिष्कृत करना चाहते हैं।
यह प्रस्तुति सुरता पोर्टल के उस उद्देश्य को भी रेखांकित करती है, जिसमें साहित्य के संरक्षण, संवर्धन और रचनात्मक अनुशासन को महत्व दिया गया है।