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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

著者: Lokesh Gulyani
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このコンテンツについて

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh GulyaniCopyright Lokesh Gulyani 哲学 社会科学
エピソード
  • Episode 44 - Rings of Saturn
    2025/08/15
    कैसे जान लिया जाता है कि किन्हीं दो लोगों के विचार मिलते हैं। वो exact point कौन सा होता है जब हम convince हो जाते हैं की फ़ला व्यक्ति हमारे जैसा सोचता है। और अगर सोचता है तो उस गर्व किया जाना चाहिए या लज्जित होना चाहिए?
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  • Episode 43 - Comfortably Numb
    2025/08/04
    अकेले में तुम अपनी हथेलियों को मसलते हो। फोन को घूरते हो। सैकड़ों बार व्हाट्सअप चेक करते हो। पर नहीं, एक ब्लू टिक तक नहीं। उसने तुम्हें त्यागा नहीं है, बस भूलना चाहा है।
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  • Episode 42 - Hero
    2025/07/27
    ये कहना ग़लत होगा कि मुझे मलाल नहीं है। मलाल हैं और बहुत से हैं पर मैं यकीन से नहीं कह सकता कि दो तरफ़ा मलाल कौन-कौन से रहे। जब मैं किसी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा वो, या जब कोई मेरी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा वो।
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    4 分
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