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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

著者: Lokesh Gulyani
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このコンテンツについて

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh GulyaniCopyright Lokesh Gulyani 哲学 社会科学
エピソード
  • Episode 49 - कालपुरुष
    2025/11/02
    पता नहीं कब और कैसे मैं कालपुरुष के सामने आत्मसमर्पण करता चला गया। मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी कालपुरुष ने मुझे डराया हो पर किसी पुरुष ने तो डराया ही होगा। बेड़ा गर्क हो इन यूट्यूब चैनल वालों का।
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    4 分
  • Episode 48 - मन लुच्चा
    2025/10/22
    पीने के बाद भी मैं सही सलामत घर लौट आता हूं। इसी से पता चल जाता है कि मैं सही हूं, और डिमेंशिया अभी बहुत दूर की कौड़ी है। और फिर मैने इतनी हॉलीवुड फिल्म्स भी नहीं देखी कि सीधे कैरेक्टर में उतर जाऊं।
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    3 分
  • Episode 47 - The Anti Social
    2025/10/14
    कई बार बहुत छोटा लगता है, जब मैं अपना सिर उठा कर आकाश की ओर ताकता हूं। लगता है इतनी बड़ी कायनात में मैं कहां खड़ा हूं? इस बात की कोई महत्ता भी है?
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    4 分
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