『Kya Khoya Kya Paya [What Was Lost What Was Found]』のカバーアート

Kya Khoya Kya Paya [What Was Lost What Was Found]

プレビューの再生
期間限定

2か月無料体験

プレミアムプラン無料体験
プレミアムプランを2か月間無料で試す
期間限定:2025年10月14日(日本時間)に終了
2025年10月14日までプレミアムプラン2か月無料体験キャンペーン開催中。詳細はこちら
オーディオブック・ポッドキャスト・オリジナル作品など数十万以上の対象作品が聴き放題。
オーディオブックをお得な会員価格で購入できます。
無料体験後は月額1,500円で自動更新します。いつでも退会できます。

Kya Khoya Kya Paya [What Was Lost What Was Found]

著者: Atal Bihari Vajpayee
ナレーター: Nitin Sharma
プレミアムプランを2か月間無料で試す

無料体験終了後は月額1,500円で自動更新します。いつでも退会できます。

¥900 で購入

¥900 で購入

このコンテンツについて

अटलजी का मानना है कि साहित्य और राजनीति के अलग-अलग खाने नहीं हैं, और जब कोई साहित्यकार राजनीति करेगा तो वह अधिक परिष्कृत होगी, होनी चाहिए। अपने कार्य-काल में उन्होंने यह करके भी दिखा दिया और देश ही नहीं, दुनिया भर को चकित कर दिया। उन्होंने दिखा दिया कि:

  • कवि-प्रधानमंत्री ही शांति के लिए पश्चिम तथा पूर्व दोनों दिशाओं में बस यात्रा की जोखिम उठा सकता है;
  • युद्ध होने पर वही संयम बनाए रखकर उसी के सहारे न केवल लड़ाई जीत सकता है बल्कि दुनिया-भर की प्रशंसा भी प्राप्त कर सकता है;
  • कवि-प्रधानमंत्री ही चुनाव के धुआंधार में सन्तुलन का सन्देश निरन्तर देता रह सकता है; और उसके बाद बाज़ी जीतकर भी सबको फिर से मिल-जुलकर काम करने की प्रेरणा दे सकता है। इस प्रकार वे राजनीति के साथ कविता को भी एक बिलकुल नया आयाम देते प्रतीत होते हैं।

अनेक वर्षों की घनघोर उठा-पटक के बाद अटलजी देश को स्थायी शासन देने में सफल रहे। इस अवसर पर एक बिलकुल नई दृष्टि से उनकी कविताओं को पढ़ना निश्चय ही सभी के लिए श्रेयस्कर है। इसमें है उनके समग्र कृतित्व से चुनी हुई रचनाएँ जो न केवल आपको रस विभोर करेंगी अपितु, सोचने पर भी विवश करेंगी। साथ ही, अटलजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर कन्हैयालाल नंदन का विस्तृत विवेचनात्मक आलेख उनकी अपनी विशिष्ट शैली में।

Please note: This audiobook is in Hindi.

©2013 Rajpal and Sons (P)2021 Audible, Inc.
歴史
まだレビューはありません